गांवों में गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे परिवारों को गरीबी से बाहर निकालने की योजना पर मनरेगा के तहत पहल शुरू की गई है। सभी पंचायतों को 15 दिन के अंदर मनरेगा के कामों के लिए श्रम एवं रोजगार पंजिका बनाने के निर्देश दे दिए गए हैं।
इस पंजिका में सूचीबद्ध होने वाले गरीब परिवारों को मनरेगा के तहत 100 दिन काम कराने के बाद केंद्र व राज्य सरकार की तमाम योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। जिससे ये परिवार गरीबी की जंजीरों को तोड़ उससे बाहर आ सकेंगे। श्रम एवं रोजगार पंजिका में सेक सूची में शामिल गरीब परिवार, मुख्यमंत्री आवास योजना के लाभार्थी, ट्राइबल वेलफेयर के तहत पट्टाधारक परिवार, दिव्यांग तथा गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले अन्य परिवारों को प्राथमिकता के आधार पर सूचीबद्ध किया जाना है।
इन परिवारों को मनरेगा के तहत साल में न्यूनतम 100 दिन रोजगार दिया जाएगा। मनरेगा के तहत परिवार को लगातार तीन साल तक काम दिया जाएगा।
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जैसे ही परिवार के मुखिया एक साल में मनरेगा के तहत 100 दिन का काम पूरा कर लेंगे। उन्हें श्रम विभाग द्वारा निर्माण श्रमिकों को दी जाने वाली 15 योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए श्रम विभाग में पंजीकृत करा दिया जाएगा। कौशल विकास तकनीकी उन्नयन योजना, कामगार गंभीर बीमारी सहायता योजना, आवास, शौचालय, चिकित्सा सुविधा योजना, सौर ऊर्जा सहायता योजना आदि का लाभ मिलने लगेगा। इन परिवारों की रुचि जिस क्षेत्र में होगी उन्हें उसी क्षेत्र का कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा।
अधिकारियों का अनुमान है कि योजना पर प्रभावी तरीके से काम हुआ तो हर तीसरे साल मनरेगा की श्रम एवं रोजगार पंजिका से जुड़ने वाले 35 से 40 लाख परिवारों की गरीबी दूर की जा सकेगी। दूसरा लाभ यह होगा कि मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों की पर्याप्त उपलब्धता हर समय रहेगी।
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जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को भी गति मिलती रहेगी। ग्राम्य विकास विभाग अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया, सभी पंचायतों को 15 दिन के अंदर मनरेगा के तहत श्रम एवं रोजगार पंजिका बनाकर उसमें निर्धन परिवारों को सूचीबद्ध करने को कहा गया है। मनरेगा के तहत 100 दिन काम कर लेने वाले वालों को श्रम विभाग की योजनाओं के साथ ही केंद्र व प्रदेश सरकार की अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा।