मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को पीसीएस संवर्ग के 2018 बैच के नवनियुक्त डिप्टी कलेक्टरों को नियुक्ति पत्र वितरित किए। उन्होंने प्रांतीय सेवा के इन अफसरों को ईमानदारी, निष्पक्षता व पारदर्शिता का मंत्र देकर प्रदेश के निर्माण में जुटने का आह्वान किया। पीसीएस संवर्ग का 97 अधिकारियों का यह अब तक का सबसे बड़ा बैच बताया जा रहा है।
मुख्यमंत्री योगी ने लोकभवन में नवनियुक्त अधिकारियों को शासकीय सेवा के महत्वपूर्ण संदेश दिए। उन्होंने कहा कि पीसीएस संवर्ग प्रशासनिक व्यवस्था का मेरुदंड है। यदि अधिकारी प्रारंभ के 4-5 वर्ष आम लोगों को अपना परिवार मानकर अच्छी सेवा की आदत बना लेता है तो उसका आगामी 25-30 वर्ष आसानी से मंजिलें चूमते हुए निकल जाता है। लेकिन, यदि शुरुआती 4-5 वर्ष बिगाड़ लिया, भ्रष्टाचार में घिर गया तो अगले 25 वर्ष संकट के हो जाते हैं। मुंह छिपाने घूमना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यदि प्रांतीय सेवा के अधिकारी बैकबोन बनकर काम करें तो प्रदेश देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन कर रहेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने चार वर्ष में चार लाख सरकारी नौकरियां पारदर्शी व निष्पक्ष तरीके से देने का काम किया है। नवनियुक्त अधिकारियों से अपेक्षा है कि वे उसी ईमानदारी व निष्पक्षता से नौकरी करें। उन्होंने कहा कि डिप्टी कलेक्टर का न कोई अपना है और न ही पराया। उसे पूरी तहसील को अपना परिवार मानकर, जात-पांत, मत-मजहब, संप्रदाय या भाषा का भेद किए बिना हर व्यक्ति की पीड़ा से जुड़कर काम करना चाहिए। अधिकारी को तय करना है कि वह सामान्य नागरिक की दुआ लेना चाहता है या पीड़ित का अभिशाप लेकर अभिशप्त जिंदगी जीना चाहता है। दुआ लेने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि कर्तव्यों का ईमानदारी पूर्वक निवर्हन ही सबसे बड़ा धर्म है।
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कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने अच्छे प्रशिक्षण को सेवा के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताया। वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने राष्ट्र व प्रदेश के प्रति कर्तव्यबोध की सीख दी। अपर मुख्य सचिव नियुक्ति एवं कार्मिक मुकुल सिंघल व महानिदेशक उपाम एल. वेंकटेश्वर लू ने भी विचार व्यक्त किए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्ता में आने के बाद सभी भर्ती आयोगों को स्पष्ट निर्देश दे दिया था कि भर्ती प्रक्रिया में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। किसी की सिफारिश नहीं माननी है। किसी तरह की शिकायत आई तो वह बुरा दिन होगा, उसे स्वीकार नहीं कर पाऊंगा। आज भर्तियों में ईमानदारी व पारर्शिता केवल कहने के लिए सच्ची हकीकत है। उन्होंने याद दिलाया कि 2017 के पहले भर्तियों की क्या स्थिति थी। आज भी सीबीआई जांच व कोर्ट में मामले चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले नौकरियां बिकती थीं।
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मुख्यमंत्री ने यह खुलासा भी किया उन्होंने वरासत अभियान क्यों शुरू किया? योगी ने बताया कि 2014 में पूज्य गुरुदेव (महंत अवेद्यनाथ) दिवंगत हुए। तय हुआ कि एक ट्रस्ट का गठन कर पूरी संपत्ति उसी के नियंत्रण में कर दी जाए और वही उसका संचालन करे। 2014 में वरासत के लिए आवेदन किया गया लेकिन, 2016 तक उस पर कुछ नहीं हुआ। वरासत के लिए डीएम को फोन करना पड़ा। सोचा, कि जब एक सांसद के आवेदन पर कार्यवाही की यह स्थिति है तो फिर आम आदमी का क्या हो रहा होगा? इसीलिए तीन महीने पहले वरासत अभियान चलाया। आठ लाख से अधिक मामले आए, जिनका निस्तारण किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री ने अपने गोरखपुर दौरे का जिक्र करते हुए बताया कि वहां सैकड़ों की संख्या में फरियादी आए। पता चला कि 90 प्रतिशत से अधिक के काम राजस्व से जुड़े हैं। पैमाइश विवाद की मुख्य जड़ है। छोटे-छोटे राजस्व विवाद कानून-व्यवस्था का विषय बन जाते हैं। यदि सभी एसडीएम व तहसीलदार फरियादी की पीड़ा से जुड़कर समय से कार्रवाई करते तो इतनी संख्या में लोग न आते। उन्होंने कहाकि काम की पूरी छूट है। कोई राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं है। फिर न्याय के लिए लोग परेशान क्यों हो रहे हैं? अच्छे व बुरे अफसरों के बारे में पब्लिक बोलती है। कुछ भी छिपा नहीं रहता।
सीएम ने कहा कि पहले प्रदेश की बेरोजगारी की दर 17.5 प्रतिशत, कारोबारी सुगमता में 14 वां स्थान व अर्थव्यवस्था 5-6 नंबर पर थी। इन चार वर्षों में बेरोजगारी की दर 4 फीसदी पर, कारोबारी सुगमता व अर्थव्यवस्था में दूसरे स्थान पर पहुंच चुका है। यह काम का परिणाम है।