‘वन के वासियों’ यानी ‘वनटांगियों’ के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भगवान से कम नहीं हैं। इसकी वजहें भी हैं। अपने संसदीय कार्यकाल से ही वनटांगियों के हक की लड़ाई लड़ने वाले योगी आदित्यनाथ ने इन्हें न सिर्फ ‘ढिबरी’ युग से बाहर निकाला और ‘बिजली’ की रोशनी से इनके जीवन को प्रकाशमय किया बल्कि ‘मड़ाई’ से निकालकर पक्के मकानों में भी पहुंचाया।
वनटांगिया समुदाय के लोगों पर मुख्यमंत्री योगी की हमेशा कृपादृष्टि रही है। जब वे गोरखपुर के सांसद रहे,उस समय भी योगी आदित्यनाथ वनटांगियों के हक और हुक़ूक़ की लड़ाई लड़ते रहे। उनके बच्चों और परिवारीजनों के साथ आत्मीयता का भाव रखते रहे। दीपावली जैसे पर्व पर उनके बीच पहुंचकर अभाव भरी जिंदगी में रोशनी बिखेरने की कोशिशों को परवान चढ़ाने की कोशिशें भी किसी से छिपी नहीं हैं। योगी के इन कार्यों न सिर्फ वनटांगियों में उनके प्रति न सिर्फ श्रद्धा का भाव जागृत किया बल्कि उनके मन में एक भगवान की छवि बना दी।
योगी के प्रयास से आया यह परिवर्तन
जंगल तिकोनिया नम्बर तीन गांव में पहले कोई सरकारी सुविधा नहीं थी। सरकारी रिकार्ड में इन गांवों का वजूद न होने से यहां के लोग समाज से अलग-थलग पड़े रहने को विवश थे। लेकिन सांसद के रूप में यहां पहुंचे योगी आदित्यनाथ ने बदलाव की बयार को बहाने की कोशिशें शुरू कीं। दीपावली में पहुंचकर यहां दीपक की सांकेतिक रोशनी से वनटांगियों के जीवन को रोशन करने का प्रयास शुरू किया। तिकोनिया नम्बर तीन पर योगी की नजर पड़ने से पहले यहां के निवासी ‘मड़ई’ में ‘ढेबरी’ जलाकर रहते थे। लेकिन योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के कुछ दिन बाद ही इनका जीवन रोशन होने लगा और अब सबका पक्का मकान बन गया है। यहां के बाशिंदों का हर घर बिजली की दूधिया रोशनी से गुलजार है। न सिर्फ सबके पास रसोई गैस है बल्कि 35 किलो राशन भी मिल रहा है।
मजदूर से बना दिया खेतिहर
राजस्व गांव का दर्जा मिलने के बाद तिकोनिया नम्बर तीन के ग्रामीणों के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन की शुरुआत भी हुई। राजस्व ग्राम का दर्जा मिलने से पहले यहां के लोग मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते थे, लेकिन जब सरकार ने इन्हें पट्टा की जमीन देकर उन्हें मालिकाना हक दिया तो अब ये खेतिहर बन गए हैं। जमीन का मालिक बनने का इनका सपना पूरा हुआ तो इन लोगों ने इसे उनके भगवान से मिला हुआ तोहफा समझा। यहीं वजह है कि यहां के भावुक हुए लोग अब ‘बाबा जी’ (योगी आदित्यनाथ) को मसीहा मना रहे हैं।
अस्थाई स्कूल बनाने पर मुकदमा झेल चुके हैं योगी आदित्यनाथ
बतौर सांसद योगी आदित्यनाथ ने वनटांगियों की बदहाली दूर करने को शैक्षिक बदलाव लाने की कोशिशें की थीं। इस दौरान योगी आदित्यनाथ ने इन क्षेत्रों में निजी तौर पर शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने की पहल की थी। वनटांगियों की शिक्षा के लिए अस्थायी स्कूल बनाने की कवायद में योगी मुकदमा तक झेल चुके हैं।
मुख्यमंत्री बने तो वनटांगियों के सपने को करने लगे साकार
वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से तो योगी आदित्यनाथ ने वनटांगिया और उनके गांवों की दशा ही बदलने की कोशिशें शुरू कीं। गोरखपुर के कुसम्ही जंगल के तिकोनिया नम्बर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी और चिलबिलवा के वनटांगियों के जीवन मे बदलाव की इबारत लिखने लगे। आजादी के सत्तर दशक बाद तक बुनियादी सुविधाओं को तरसने वालों को शहर सरीखी सुविधाएं मिलने लगीं।
कौन हैं वनटांगिया
वर्ष 1918 के आसपास ब्रिटिश हुकूमत ने साखू के जंगल लगाने को वनटांगियों को इन जंगलों के बीच बसाया था। लेकिन तब से यह राजस्व अभिलेखों में नागरिक के दर्जे से भी वंचित रहे। सीएम बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने इन वनग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित कराया। इन्हें राजस्व अभिलेखों में शामिल किया गया। अब वनटांगिया गांवों में हर परिवार के पास पीएम-सीएम आवास योजना के तहत पक्का मकान है। सभी घरों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय है। सबके पास राशनकार्ड है। उज्ज्वला योजना के अंतर्गत नि:शुल्क रसोई गैस की सुविधा है। सौभाग्य योजना के नि:शुल्क विद्युत कनेक्शन से उनके घर रोशन हैं। लोग पात्रता के अनुसार पेंशन योजनाओं का भी लाभ प्राप्त कर रहे हैं। इनके गांव में ही सरकारी स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्र बन चुके हैं। गांव के लोग आरओ मशीन से शुद्ध पेयजल पी रहे हैं। राजस्व ग्राम घोषित होने से इन वनग्रामों के लोगों ने पहली बार गांव की अपनी सरकार (पंचायत) का चुनाव भी किया है।