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चुनावी जीत के बाद पहली बार गोरखनाथ मंदिर पहुंचे योगी का जोरदार स्वागत

गोरखपुर। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को मिली बड़ी जीत (Victory) के बाद पहली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi) गोरखपुर पहुंचे। यहां उनका भव्य स्वागत हुआ। उत्साहित कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की।

मोदी-योगी, जय श्रीराम और हर-हर महादेव के नारों से पूरा वातावरण देर तक गूंजता रहा। गोरखनाथ मंदिर परिसर भी सजाया गया था। वहां मौजूद श्रद्धालुओं का उत्साह भी कम नहीं था। पीठाधीश्वर आदित्यनाथ को देखकर श्रद्धालुओं की भावनाएं हिलोरें ले रही थीं। आदित्यनाथ ने हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन स्वीकार किया।

बतौर मुख्यमंत्री अपनी पार्टी को प्रचंड बहुमत से जीत दिलाकर सत्ता वापसी करने वाले आदित्यनाथ ने न सिर्फ भाजपा से लगातार दोबारा मुख्यमंत्री बनने वाले नेता का रिकार्ड बनाया है बल्कि प्रदेश में 37 साल के मिथक को तोड़ कर इतिहास भी रचा है। आदित्यनाथ के स्वागत में गोरखनाथ मंदिर में सुबह से ही तैयारियां की जा रही थीं। गुरुवार अपराह्न तकरीबन पौने चार बजे पहली बार गोरक्षपीठ पहुंचे पीठाधीश्वर आदित्यनाथ के स्वागत में मंदिर भी पलक-पांवड़े बिछाए हुए था। पीठाधीश्वर आदित्यनाथ के परिसर में प्रवेश करते ही हर तरफ भावनाएं उफान लेने लगीं। मोदी-योगी, जय श्रीराम और हर हर महादेव के नारों से पूरा परिसर गुंजायमान हो उठा।

बरसाने से कम नहीं है गोरखपुर की होली

अपने महाराज के स्वागत में श्रद्धालु मंदिर में पलक पांवड़े बिछाए हुए थे तो अपने पीठाधीश्वर के स्वागत में गोरक्षपीठ भी पीछे नहीं था। आदित्यनाथ के स्वागत के लिए परिसर को सुगंधित फूलों से सजाया गया था। विशेष अवसरों पर ही खोले जाने वाला मंदिर का पूर्वमुखी मुख्य प्रवेश द्वार भी आज खोल दिया गया था। यहां सजाई रंगोली मन मोह रही थी। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के काफिले ने परिसर में जैसे ही प्रवेश किया, नारे गूंजने लगे।

गुरु गोरखनाथ का दर्शन, ब्रह्मलीन गुरुओं का लिया आशीर्वाद

मंदिर परिसर में प्रवेश करने के बाद वाहन से उतरकर वह सीधे गुरु गोरखनाथ की प्रतिमा के समक्ष पहुंचे। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर उनका आशीर्वाद लिया। प्रदेशवासियों के मंगल की कामना की। इसके बाद ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की समाधि स्थल पर जाकर माथा टेका। अपने गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की प्रतिमा के समक्ष आदित्यनाथ की सजल आंखें उनके भावों की अनकही इबारत लिख रही थीं।

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