गोरखपुर। रंगों के प्रतीक रूप में उमंग व उल्लास का पर्व होली (Holi) गोरक्षपीठ (Gorakshapeeth) के सामाजिक समरसता अभियान का ही एक हिस्सा है। इस पीठ की विशेषताओं में छुआछूत, जातीय भेदभाव और ऊंच नीच की खाई पाटने का जिक्र सतत होता रहा है। समाज में विभेद से परे लोक कल्याण ही नाथपंथ का मूल है और ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ, ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ द्वारा विस्तारित इस अभियान की पताका वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi) फहरा रहे हैं। गोरक्षपीठ की अगुवाई वाला रंगोत्सव सामाजिक संदेश के ध्येय से विशिष्ट है।
सामाजिक समरसता का स्नेह बांटने के लिए ही गोरक्षपीठाधीश्वर दशकों से होलिकोत्सव (Holika Dahan) -भगवान नृसिंह शोभायात्रा (Narsingh Procession) में शामिल होते रहे हैं। इस बार शोभायात्रा में मुख्यमंत्री योगी को विधानसभा चुनाव में मिले प्रचंड बहुमत (victory) का रंग भी खूब बरसता दिखेगा। वर्ष 1996 से 12019 तक शोभायात्रा का नेतृत्व करने वाले योगी गत दो होलिकोत्सव में लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए इसमें शामिल नहीं हुए थे। लेकिन इस बार कोरोना पर नियंत्रण करने के बाद मुख्यमंत्री योगी 17 मार्च की शाम पांडेहाता से निकलने वाले होलिकादहन जुलूस और 19 मार्च की सुबह घण्टाघर से निकलने वाली भगवान नृसिंह होलिकोत्सव शोभायात्रा में सम्मिलित होंगे। शोभायात्रा मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में भाजपा को मिली कामयाबी का अभूतपूर्व विजय जुलूस बने, इसे लेकर जोरदार तैयारियां की गई हैं।
होलिकादहन की राख के तिलक से होती है होली की शुरुआत
गोरक्षपीठाधीश्वर की अगुवाई में गोरखनाथ मंदिर में होलिकोत्सव की शुरुआत होलिकादहन की राख से तिलक लगाने के साथ होती है। इस परंपरा में एक विशेष संदेश निहित होता है। होलिकादहन हमें भक्त प्रह्लाद और भगवान श्रीविष्णु के अवतार भगवान नृसिंह के पौराणिक आख्यान से भक्ति की शक्ति का अहसास कराती है। होलिकादहन की राख से तिलक लगाने के पीछे का मन्तव्य है भक्ति की शक्ति को सामाजिकता से जोड़ना। इस परिप्रेक्ष्य में गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह कथन सतत प्रासंगिक है, ‘भक्ति जब भी अपने विकास की उच्च अवस्था में होगी तो किसी भी प्रकार का भेदभाव, छुआछूत और अस्पृश्यता वहाँ छू भी नहीं पायेगी।’ भक्ति और सामाजिक समरसता का संदेश देने के लिए ही गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ 1996 से 2019 तक गोरखपुर में होली के दिन निकलने वाली भगवान नृसिंह शोभायात्रा में अनवरत शामिल होते रहे हैं।
नानाजी देशमुख ने की थी रंगोत्सव शोभायात्रा की शुरूआत
गोरखपुर में भगवान नृसिंह रंगोत्सव शोभायात्रा की शुरुआत अपने गोरखपुर प्रवासकाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक नानाजी देशमुख ने 1944 में की थी। गोरखनाथ मंदिर में होलिकादहन की राख से होली मनाने की परंपरा इसके काफी पहले से जारी थी। नानाजी का यह अभियान होली के अवसर पर फूहड़ता दूर करने के लिए था। नानाजी के अनुरोध पर इस शोभायात्रा का गोरक्षपीठ से भी गहरा नाता जुड़ गया।
ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ के निर्देश महंत अवेद्यनाथ शोभायात्रा में पीठ का प्रतिनिधित्व करने लगे और यह गोरक्षपीठ की होली का अभिन्न अंग बन गया। 1996 से योगी आदित्यनाथ ने इसे अपनी अगुवाई में न केवल गोरखपुर बल्कि समूचे पूर्वी उत्तर प्रदेश में सामाजिक समरसता का विशिष्ट पर्व बना दिया। अब इसकी ख्याति मथुरा-वृंदावन की होली सरीखी है और लोगों को इंतजार रहता है योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाले भगवान नृसिंह शोभायात्रा का।
पांच किलोमीटर से अधिक दूरी तय करने वाली शोभायात्रा में पथ नियोजन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता करते हैं और भगवान नृसिंह के रथ पर सवार होकर गोरक्षपीठाधीश्वर रंगों में सराबोर हो बिना भेदभाव सबसे शुभकामनाओं का आदान-प्रदान करते हैं।