उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना महामारी की आपात परिस्थितियों को देखते हुए बड़ा फैसला किया है। सरकारी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों और चिकित्सा संस्थानों में दवाइयों और उपकरणों की किल्लत न हो, इसके लिए तीन महीने तक बिना टेंडर ये सभी चिकित्सा संस्थान दवाइयों और उपकरणों की खरीद कर सकेंगे।
ऐसी ही छूट इन संस्थानों में सेवाओं के लिए भी दी गई है। अब स्थानीय स्तर पर सेवाओं या मैनपावर के लिए टेंडर निकालने की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा ने इस संबंध आदेश जारी कर दिए हैं।
मुख्यमंत्री योगी कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए पिछले साल से ही टीम 11 के अधिकारियों के साथ रोजाना समीक्षा बैठक कर रहे हैं। इसी क्रम में वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए उन्होंने सरकारी अस्पतालों में दवाइयों, उपकरणों और सेवाओं में कोई कमी नहीं होने के निर्देश दिए थे। चूंकि वैश्विक महामारी की आपात परिस्थितियों में दवाइयों, उपकरणों और तात्कालिक सेवाओं के लिए टेंडर प्रक्रिया अपनाने में समय लग सकता है। इसलिए इन वस्तुओं की खरीदारी या सेवाओं के लिए 12 अप्रैल से 11 जुलाई तक बिना टेंडर के खरीदारी की छूट दी गई है। हालांकि इसके लिए गाइडलाइंस जारी की गई है और खरीदारी को पारदर्शी बनाने के लिए कई शर्तें भी जोड़ी गई हैं।
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संक्रमितों की जान बचाना सर्वोच्च प्राथमिकता: आलोक कुमार
प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर कोरोना महामारी की आपात परिस्थितियों को देखते हुए पारदर्शी तरीके से खरीदारी के लिए कुछ नियमों में शिथिलता करते हुए आदेश जारी किए गए हैं। शासन की मंशा है कि किसी भी परिस्थिति में कोरोना संक्रमितों की जान को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर बचाया जाए। इसी उद्देश्य से खरीद की जाने वाली सामग्री की मात्रा, मानकों का अनुपालन, गुणवत्ता और एक्सपायरी डेट के सत्यापन का उत्तरदायित्व चिकित्सा विश्वविद्यालयों के कुलपति, संस्थान के निदेशक और मेडिकल कॉलेजों के प्रधानाचायों को सौंपा गया है।
आपात खरीदारी को प्रमाणित करेंगी सात संस्थाएं
कुमार ने बताया कि आपात स्थिति में खरीद की जाने वाली वस्तुओं की आकस्मिकता और आवश्यकता का प्रमाणीकरण सात संस्थाओं की ओर से किया जाएगा। इसमें केजीएमयू लखनऊ, एसजीपीजीआई, डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान एवं चिकित्सालय लखनऊ, सुपर स्पेशियलिटी बाल चिकित्साल और स्नातकोत्तर शिक्षण संस्थान नोएडा और राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान ग्रेटर नोएडा के संबंधित कुलपति या निदेशक करेंगे।
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इनके अलावा सभी राजकीय मेडिकल कॉलेजों, चिकित्सा महाविद्यालयों में यह प्रमाणीकरण संबंधित प्रधानाचार्य या जिले के जिलाधिकारी करेंगे। इसकी प्रति महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा को भी भेजी जाएगी। निदेशालय भी अपने स्तर से समीक्षा करेगा।