वाराणसी। प्रदेश की योगी सरकार देश में मॉडल गवर्नेंस की नई पहचान बनती जा रही है। ब्रांड यूपी को लेकर शासन स्तर पर किये जा रहे प्रयास अब देश के अन्य राज्यों को भी अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के भीड़ प्रबंधन ( क्राउड मैनेजमेंट सिस्टम) को जानने और समझने के लिए महाराष्ट्र के अफसरों की टीम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंची है।
दरअसल, क्राउड मैनेजमेंट के काशी मॉडल (Kashi model) ने अन्य राज्यों की प्रशासनिक मशीनरी को भी अचंभित कर दिया है। इसी का परिणाम है कि महाराष्ट्र के सुविख्यात भगवान विट्ठल के मंदिर में भी क्राउड मैनेजमेंट के काशी मॉडल को लागू करने की तैयारी शुरू हो गयी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कर रहे थे निगरानी
बीते सावन माह के दौरान एक करोड़ से ज्यादा शिवभक्तों ने श्री काशी विश्वनाथ धाम में दर्शन.पूजन किया है। इस दौरान खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ काशी में क्राउड मैनेजमेंट की लगातार मॉनीटरिंग कर रहे थे। साथ ही उन्होंने काशी में व्यवस्थाओं का स्थलीय निरीक्षण भी किया था और स्थानीय अफसरों को दिशा.निर्देश भी दिये थे।
-’काशी मॉडल (Kashi model) को समझने बनारस पहुंचे सोलापुर के डीएम और एसपी’
महाराष्ट्र के अफसर काशी मॉडल (Kashi model) को पंढरपुर स्थित सुविख्यात भगवान विट्ठल मंदिर में भी लागू करना चाहते हैं। सोलापुर के जिलाधिकारी और एसपी के नेतृत्व में पहुंची अफसरों की टीम ने बीते गुरुवार को वाराणसी के पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश से मुलाकात की । वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस ने क्राउड मैनेजमेंट के काशी मॉडल पर महाराष्ट्र अफसरों के सामने एक डिटेल प्रेजेंटेशन भी प्रस्तुत किया है।
-क्या है काशी का क्राउड मैनेजमेंट मॉडल, जिसकी है चर्चा
वाराणसी पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश के मुताबिक काशी में क्राउड मैनेजमेंट के तहत हमने सावन महीने को 9 बड़े इवेंट्स में बांटकर अपनी पूरी कार्ययोजना तैयार की। इसमें सावन के चार सोमवार, सावन की शिवरात्रि, अमावस्या, हरियाली तीज, नागपंचमी और रक्षा बंधन को लेकर हमने विस्तार से प्लान तैयार किया। ना सिर्फ काशी विश्वनाथ धाम बल्कि वाराणसी के सभी प्रमुख मंदिरों को लेकर योजना बनायी गयी। फोकस उन इलाकों पर सबसे ज्यादा रहा जहां सर्वाधिक ज्यादा भीड़ जुटने की संभावना थी।
— क्या थीं चुनौतियां’
काशी में क्राउड मैनेजमेंट के लिये चुनौतियां इसलिए भी बड़ी थीं क्योंकि विश्वनाथ धाम के उद्घाटन के बाद ये पहला सावन था। और किसी को अंदाजा नहीं था कि भीड़ कितनी पहुंचेगी। इसके अलावा दो साल से कोविड के कारण बंद कांवर यात्राओं को भी इस बार पूरे रौ में शुरू किया गया था। इतना ही नहीं ज्ञानवापी और अग्निपथ जैसे संवेदनशील मुद्दों को लेकर भी पुलिस की सक्रियता बढ़ गयी थी। साथ ही सावन के दौरान ही मोहर्रम पर्व को भी सकुशल संपन्न कराना शासन के सामने बड़ी चुनौती थी। तमाम तरह की अफवाहें और भगदड़ की आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए प्लान तैयार करना बड़ी चुनौती थी। इसके अलावा वीवीआईपी मूवमेंट को लेकर भी विस्तार से कार्ययोजना बनायी गयी।
-सोशल मीडिया तक निगरानी
काशी के सभी बड़े शिव मंदिर की सुरक्षा, जल पुलिस, गोताखोरों की टीम और एनडीआरएफ टीम के साथ घाटों की सुरक्षा, घाटों पर रोशनी की व्यवस्था, पब्लिक ऐड्रेस सिस्टम को सक्रिय रखना, गहरे घाटों पर स्नानार्थियों के लिये बैरिकेडिंग, नाव संचालकों से मीटिंग, कांवर यात्रा मार्गों की सुरक्षा, ट्रैफिक प्रबंधन, पार्किंग, सोशल मीडिया की मॉनीटरिंग, समाजिक सौहार्द के लिए पीस कमेटी की मीटिंग के अलावा पीवीआर और क्यूआरटी टीम को योजनाबद्ध तरीके से स्थापित किया गया था।
– क्राउड कंट्रोल में सहायक बने 16 पार्किंगए 18 बैरियर’
काशी में क्राउड कंट्रोल मैनेजमेंट के दौरान सबसे ज्यादा फोकस भीड़ के आगमन वाले रास्तों पर रही। प्रयागराज, जौनपुर, गाजीपुर, आजमगढ़ और चंदौली से आने वाली भीड़ को नियंत्रित करने के लिये शहर के बाहर 16 जगह पार्किंग स्थल बनाये गये। साथ ही 18 बैरियर प्वाइंट्स के जरिये भीड़ को नियंत्रित करने में बड़ी मदद मिली। मिश्रित आबादी वाले इलाकों में पुलिस पिकेट की ड्यूटी, मिड.वे मेडिकल कैंप, एंबुलेंस, फायर टेंडर की तैनाती, नो व्हीकल जोन, पैदल मार्ग, असहायों के लिये ई.रिक्शा की व्यवस्था ने क्राउड मैनेजमेंट के काशी मॉडल को देशभर में प्रासंगिक बना दिया है।
-काम आया विभागों में आपसी समन्वय’
क्राउड मैनेजमेंट के लिये वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस ने सभी विभागों के साथ बेहतर तालमेल स्थापित किया। इसमें नगर निगम, रेलवे, ट्रांसपोर्ट, बिजली, स्वास्थ्य, फूड सिक्योरिटी और सिविल डिफेंस के साथ समन्वय स्थापित करते हुए असंभव से लगने वाले भीड़ नियंत्रण के कार्य को पूरी दक्षता के साथ संपन्न कराया गया। इस दौरान ना कहीं भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हुई और ना ही सामाजिक सौहार्द बिगड़ने की नौबत आयी।
– काशी मॉडल (Kashi model) की ही तारीफ’
देश में धार्मिक पर्यटन का क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है। ऐसे में भीड़ को नियंत्रित करना एक बड़ी चुनौती के रूप में उभर कर सामने आया है। वैसे तो आंध्र प्रदेश के वेंकटेश्वर तिरुपति बालाजी और जम्मू कश्मीर के वैष्णो देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की सबसे अधिक भीड़ उमड़ती है। अंतर इतना है कि ये दोनों प्रसिद्ध मंदिर जहां शहर से दूर पहाडियों पर स्थित हैं। वहीं ,काशी विश्वनाथ धाम वाराणसी शहर के ठीक बीचों बीच स्थित है। शहर के सभी प्रमुख व्यावसायिक केंद्र और घनी रिहाइश काशी विश्वनाथ धाम से सटे हुए हैं। साथ ही इन दिनों विवादों का केंद्रबिंदु बना ज्ञानवापी परिसर भी काशी विश्वनाथ धाम परिसर में ही स्थित है।