लखनऊ। लगातार दो बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi) ने 37 साल बाद भाजपा को उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज करने का रिकार्ड रचा है। यह तथ्य परिणाम के बाद कई बार सामने आ चुका है, लेकिन राजनीतिक पंडितों का विमर्श इस पर भी केंद्रित है कि पश्चिम से पूरब तक इतनी मजबूत जातीय गोलबंदी के बावजूद सपा क्यों ढेर हो गयी?
अगले लोकसभा चुनाव के लिए बांहें चढ़ा रही कांग्रेस और बसपा के इस हश्र की समीक्षा करनवे पर पता चलता है कि योगी आदित्यनाथ ने जातीय गोलबंदी को ‘सुशासन’ के शस्त्र से भेदा तो लाभार्थीपरक योजनाओं में मजबूत डिलीवरी सिस्टम से भी जनता का विश्वास जीत लिया। विपक्ष की आशाओं को पूरी तरह से ध्वस्त करने वाले सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस सफलता का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी जन उपयोगी नीतियों को दिया है। इस पर सहमति जताते हुए राजनीतिक विश्लेषककहते हैं कि मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ के सुशासन के सिद्धांत को अंगीकार करते हुए योगी ने अपने मजबूत डिलीवरी सिस्टम से धरातल पर उतारा। उसी पर जनता ने विश्वास की फिर से मुहर लगा दी है।
योगी के रंग में रंग गया पूरा शहर
वह मानते हैं कि मोदी-योगी के शासन के सकारात्मक पक्ष को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बेजोड़ प्रबंधन ने इतनी मजबूती दी कि विपक्ष के सपने ध्वस्त हो गये। माना जा रहा है कि लाभार्थी वर्ग ने इस विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी भूमिका निभायी है। विभिन्न योजनाओं का लाभ पाने वाली महिला, आदिवासी, दलित, ओबीसी और अल्पसंख्यकों को मिलाकर ऐसा मजबूत लाभार्थी वोट बैंक तैयार हुआ, जिसके सामने सपा-बसपा जैसे दलों के जातिगत वोट बैंक काफी बौने साबित हुए।
आंकड़े इस तर्क को मजबूत करते हैं कि यूपी में 15 करोड़ से अधिक लोगों को योगी सरकार ने पीएम आवास योजना, खाद्यान्न योजना, शौचालय, उज्ज्वला योजना का लाभ मुहैया कराया है। सपा-बसपा सरकारों के समय बिजली संकट एक मुद्दा था तो इस बार गांव-गांव निर्बाध बिजली की बात जुबान पर थी। दावा यह भी किया जा रहा है कि 18 प्रतिशत ज्यादा महिलाओं ने भाजपा को वोट दिया है।
योगी आदित्यनाथ ने आरएसएस चीफ मोहन भागवत से की मुलाकात
महिलाओं के यूं भाजपा की ओर झुकाव का कारण बताया जा रहा है कि शौचालयों के निर्माण ने इसमें खास भूमिका निभायी है। प्रदेश में रिकार्ड संख्या में शौचालयों का बनना महिलाओं के लिए केवल सफायी का मुद्दा नहीं था, बल्कि यह उनके लिए सुरक्षा और अस्मिता का मुद्दा बन गया। इसी से प्रभावित ग्रामीण इलाकों में महिलाओं ने भाजपा को जमकर वोट दिया। उज्ज्वला योजना ने भी भाजपा से महिलाओं को जोड़ा। बिना किसी गड़बड़ी की शिकायत के गरीबों को मिले भरपूर राशन, पक्की छत और विभिन्न योजनाओं के पैसे सीधे खाते में पहुंचने से जनता के बीच योगी के सुशासन का मजबूत संदेश गया।
यूपी विधानसभा चुनावों के परिणाम के आधार पर राजनीतिक समीक्षक यह मान रहे हैं कि नये यूपी में अब जात-पात की राजनीति के बजाय विकास और सुशासन को महत्व मिलने लगा है। भाजपा को वर्ष 2017 में प्राप्त 39.67 प्रतिशत की तुलना में इस चुनाव में मिले 41.6 प्रतिशत वोट सरकार के सुशासन के वोट बताये जा रहे हैं।