• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

साहित्य प्रेमियों के लिए आप सदैव पूजनीय रहेंगी महादेवी वर्मा : शिवराज चौहान

Desk by Desk
26/03/2021
in Main Slider, उत्तर प्रदेश, ख़ास खबर, नई दिल्ली, फर्रूखाबाद, मध्य प्रदेश, राष्ट्रीय
0
महादेवी वर्मा

महादेवी वर्मा

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महान कवयित्री महादेवी वर्मा को उनकी जयंती पर नमन किया है।
श्री चौहान ने अपने ट्वीट के जरिए कहा कि ‘मां सरस्वती की कृपा से धन्य साहित्य जगत की उज्ज्वल ज्योत, महान कवयित्री, श्रद्धेय महादेवी वर्मा जी की जयंती पर कोटिश: नमन। साहित्य प्रेमियों के लिए आप सदैव पूजनीय रहेंगी।

नीरव नभ के नयनों पर हिलतीं हैं रजनी की अलकें,
जाने किसका पंथ देखतीं, बिछ्कर फूलों की पलकें।-महादेवी वर्मा

मां सरस्वती की कृपा से धन्य साहित्य जगत की उज्ज्वल ज्योत, महान कवयित्री, श्रद्धेय महादेवी वर्मा जी की जयंती पर कोटिश: नमन!

साहित्य प्रेमियों के लिए आप सदैव पूजनीय रहेंगी। pic.twitter.com/r3Zbhsbv1r

— Shivraj Singh Chouhan (मोदी का परिवार ) (@ChouhanShivraj) March 26, 2021

फर्रुखाबाद में जन्मीं और बनीं महादेवी

फर्रुखाबाद में 26 मार्च 1907 की सुबह बाबू गोविंद प्रसाद वर्मा के घर होली का उल्लास तब दोगुना हो गया जब पत्नी हेमरानी देवी (शिवरानी) ने पुत्री को जन्म दिया। सात पीढ़ियों के बाद परिवार में बेटी ने जब जन्म लिया तो फूले नहीं समा रहे बाबा बांके बिहारी ने कहा यह कोई साधारण बच्ची नहीं बल्कि यह देवी हैं। इसके बाद देवीस्वरूप उस बच्ची का नाम महादेवी रख दिया गया।

प्रतिभा के आड़े आया विवाह

बाल्यावस्था में ही मां और पिता बेटी की प्रतिभा को समझ चुके थे। विद्यालय के साथ घर पर पंडित, मौलवी, संगीत और चित्रकला के शिक्षक ने महादेवी के व्यक्तित्व को तराशना शुरू कर दिया। मात्र नौ वर्ष की आयु में विवाह ने उनकी शिक्षा को बाधित किया। विवाह का मतलब समझने को बालमन तैयार नहीं हुआ। तो वह वापस मायके आ गईं और क्राइस्ट चर्च कॉलेज प्रयाग (प्रयागराज) में शिक्षा प्रारंभ की। वर्ष 1929 में बीए पास करते-करते वह स्थापित कवयित्री बन चुकी थीं।

ऐसे करें PAN को आधार से लिंक, 6 दिन में नहीं कराया तो देना होगा इतना जुर्माना

इस प्रकार से मन में जागा समाज सुधारक का भाव

महादेवी वर्मा ने प्रयाग विश्वविद्यालय से 1932 में संस्कृत से एमए किया था। यह वह समय था जब ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ देश में स्वतंत्रता संग्राम चल रहा था। वहीं, इस दौरान उन्हें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप भी मिली थी। बताते हैं कि स्कॉलरशिप को लेकर वे असमंजस में थीं, जिसके बारे में उन्होंने महात्मा गांधी सलाह-मशवरा करना ठीक समझा। यही नहीं गांधी जी ने ही अपने देश के लिए सामाजिक कार्य करने और बहनों के शिक्षण के प्रति उन्हें प्रेरित किया था। वरिष्ठ साहित्य प्रेमी बताते हैं कि वर्ष 1972 में महादेवी बद्री विशाल डिग्री कॉलेज फर्रुखाबाद के दीक्षा समारोह में शामिल होने आई थीं। छात्राओं-महिलाओं की कविताएं सुन कर बोलीं, त्रिवेणी मात्र प्रयाग में नहीं, यहां भी है। यहां भी सरस्वती की धारा बह रही है।

महिलाओं की मुक्ति का फूंका बिगुल

स्कूल के दौरान ही महादेवी वर्मा ने ‘Sketches from My Past’ नाम से कहानियां लिखीं, जिसमें उन सहेलियों और उनकी तकलीफों का जिक्र था, जिनसे वे पढ़ाई के दौरान मिलीं। उन्होंने 1942 में निबंध संकलन ‘श्रृंखला की कडिय़ां’ के जरिए रूढि़वाद पर चोट करते हुए महिलाओं की मुक्ति और विकास का बिगुल फूंका। महिलाओं की शिक्षा के लिए उनका योगदान उस समय में क्रांतिकारी कदम जैसा ही था। महादेवी वर्मा ने अपनी रचना ‘नीहार’ मैट्रिक पास होने से पहले ही लिख दी थी। वर्ष 1933 में उन्होंने मीरा जयंती की शुरुआत की।

निराला जी ने महादेवी वर्मा के लिए कही थे बात

हिंदी की महान लेखिका महादेवी वर्मा के बारे में सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने बड़े ही रोचक अंदाज में कहा था- शब्दों की कुशल चितेरी और भावों को भाषा की सहेली बनाने वाली एक मात्र सर्वश्रेष्ठ सूत्रधार महादेवी वर्मा साहित्य की वह उपलब्धि हैं जो युगों-युगों में केवल एक ही होती हैं, जैसे स्वाति की एक बूंद से सहस्त्रों वर्षों में बनने वाला मोती’।

इन रचनाओं ने बनाया हिंदी साहित्य की महादेवी: हिंदी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभ में सुमित्रानंदन पंत, जयशंकर प्रसाद और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के साथ महादेवी भी प्रमुखता के साथ शामिल की जाती हैं। उनकी बाल कविताओं के दो संकलन प्रकाशित हुए, जिनमें ‘ठाकुर जी भोले हैं’ और ‘आज खरीदेंगे हम ज्वाला’ शामिल हैं। महादेवी के काव्य संग्रहों में शुमार ‘नीहार’, ‘रश्मि’, ‘नीरजा’, ‘सांध्य गीत’, ‘दीपशिखा’, ‘यामा’ और ‘सप्तपर्णा’ शामिल हैं, जिसका रसा स्वादन आज भी पाठक करते हैं। कवयित्री होने के साथ-साथ गद्यकार के रूप में भी उन्होंने अलग पहचान बनाई थी। गद्य में रूप उन्होंने ‘अतीत के चलचित्र’, ‘स्मृति की रेखाएं’, ‘पथ के साथी’ और ‘मेरा परिवार’ लाजवाब कृतियां हिंदी साहित्य जगत को दीं। इसी के साथ ‘गिल्लू’ उनका कहानी संग्रह है, जो पाठकों के दिलों में अमिट छाप बना चुका है।

कुछ और खास बातें

महादेवी वर्मा स्वयं अपने गीतों के बारे में कहती थीं कि उनके गीत किसी पक्षी के समान हैं। जिस प्रकार एक पंक्षी आकाश में उड़ान भरता है लेकिन फिर भी धरती है जुड़ा रहता है उसी प्रकार कवि भी कल्पना के आकाश में उड़ता है लेकिन वह सदैव धरती से जुड़ा रहता है। वह आसमान में जाकर भी धरती पर लौट कर आता है उसी प्रकार कवि भी अपने जीवन के प्रति सचेत रहता है।
इस बात को कहने में किसी भह प्रकार की अतिश्योक्ति नहीं होगी कि महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य के आसमान का वो छायावादी युगीन ध्रुवतारा हैं जिनसे न जाने कितने ही नए लेखकों को रोशनी मिली। महादेवी के काव्य में प्रेम की वेदना के स्वर भी परिलक्षित होते हैं इसलिए उन्हें आधुनिक युग की मीरा कहा जाता है। ये वेदना के स्वर उनकी रचनाओं में महात्मा बुद्ध के उपदेशों के कारण आता था। क्योंकि महादेवी महात्मा बुद्ध के विचारों से अत्यधिक प्रभावित थीं। बुद्ध का सूत्र – ‘जीवन दुख का मूल है।’ सदा ही महादेवी की रचनाओं में प्रतिबिंबित होता था। यही कारण रहा कि महादेवी ने एक आम विवाहिता का जीवन कभी नहीं जिया।

1916 में उनका विवाह बरेली के पास नवाबगंज कस्बे के निवासी वरुण नारायण वर्मा से हुआ था। महादेवी वर्मा को विवाहित जीवन से विरक्ति थी, इसलिए पति से उनका कोई वैमनस्य नहीं था। वह एक संन्यासिनी का जीवन गुजारती थीं। उन्होंने पूरी जिंदगी सफेद कपड़े पहने और जीवन पर्यंत कभी श्रृंगार नहीं किया। 1966 में पति की मौत के बाद वह स्थाई रूप से इलाहाबाद (वर्तमान में प्रयागराज) में रहने लगीं। 11 सितंबर, 1987 को प्रयाग में उनका निधन हुआ।

क्या कहता है फर्रुखाबाद महीयसी के बारे में?

जिलाधिकारी, फर्रुखाबाद मानवेंद्र सिंह ने बताया कि फर्रुखाबाद में जिलाधिकारी के रूप में कार्यभार ग्रहण किया तो छात्र जीवन की महादेवी वर्मा की रचनाएं मन के पटल पर उभरीं। राजकीय बालिका इंटर कालेज का नाम उनके नाम से करवाने का प्रस्ताव शासन को प्रेषित किया है, जो शीघ्र ही स्वीकृत होगा। इस बालिका इंटर कॉलेज को उत्कृष्ट सुविधाएं देकर महादेवी वर्मा को श्रद्धांजलि देने का प्रयास कर रहा हूं।

महादेवी वर्मा की उपलब्धियां:

  • 1932 में एमए पास करने के साथ ही उन्हें प्रयाग महिला विद्यापीठ के प्रधानाचार्य का दायित्व मिल गया।
  • 1952 में उन्हें विधान परिषद का सदस्य मनोनीत किया गया।
  • 1955 में दिल्ली में साहित्य अकादमी का संस्थापक सदस्य चुना गया।
  • 1960 में प्रयाग महिला विद्यापीठ का कुलपति चुना गया।
  • 1969 में विक्रम विश्वविद्यालय ने उन्हें डी लिट की उपाधि दी गई।

इन पुरस्कारों से की गईं पुरस्कृत

  • 1934 में नीरजा के लिए सक्सेरिया पुरस्कार
  • 1942 में स्मृति की रेखाओं के लिए द्विवेदी पदक
  • 1943 में मंगला प्रसाद पुरस्कार और उत्तर प्रदेश के भारत भारती पुरस्कार से सम्मान
  • 1957 में पद्मभूषण
  • 1979 में साहित्य अकादमी फेलोशिप
  • 27 अप्रैल 1982 में यामा नामक काव्य संकलन के लिए देश का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार
  • 1988 में पद्म विभूषण
Tags: 114th Birthday of Mahadevi VermaAchievments of Mahadevi VermaAwards to Mahadevi VermaBiography of Mahadevi VermaChaayavadi Era Hindi LiteratureFacts about Mahadevi VermaFeminist Poetess Mahadevi VermaHindi Language Literature PoetessHindi LiteratureHPJagranSpecialIntresting story of Mahadevi Vermakanpur newsMahadevi VermaMahadevi Verma House in FarrukhabadNational newsNEWSPoems of Mahadevi VermaPoetess Mahadevi Vermashivraj chauhanstateThe Mordern Meera of Hindi Literatureup topUttar Pradesh Newsमहादेवी वर्मामहादेवी वर्मा की जशिवराज चौहान
Previous Post

ऐसे करें PAN को आधार से लिंक, 6 दिन में नहीं कराया तो देना होगा इतना जुर्माना

Next Post

सुप्रीम कोर्ट से मुख्तार अंसारी को बड़ा झटका, पंजाब से यूपी भेजने का दिया आदेश

Desk

Desk

Related Posts

Azam Khan
Main Slider

मुझे राजनीति छोड़ देनी चाहिए थी, लेकिन अब तो… आजम खान का छलका दर्द

03/10/2025
Idli Chaat
Main Slider

यह डिश नाश्ते में लगा देगी चार चांद, रोज होगी बनाने की डिमांड

03/10/2025
Papankusha Ekadashi
Main Slider

आज रखा जाएगा पापांकुशा एकादशी व्रत, जानें इसका महत्व

03/10/2025
Panchak
Main Slider

आज से लग रहे है चोर पंचक, गलती से भीं करें ये काम

03/10/2025
Sharad Purnima
Main Slider

कब मनाई जाएगी शरद पूर्णिमा? जानें पूजा विधि और मुहूर्त

03/10/2025
Next Post
मुख्तार अंसारी

सुप्रीम कोर्ट से मुख्तार अंसारी को बड़ा झटका, पंजाब से यूपी भेजने का दिया आदेश

यह भी पढ़ें

सावधानी और सतर्कता ही कोविड नियंत्रण का आधार : सीएम योगी

20/04/2022
murder

पीयूष हत्याकांड: घायल पिता ने इलाज के दौरान तोड़ा दम

10/05/2022
Sonu Sood gave a befitting reply on his rising finger, said ..

कोरोना की जंग में एक बार फिर मददगार बनकर सामने आए सोनू सूद

16/04/2021
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version