नई दिल्ली। आपके पास क्रेडिट स्कोर बढ़ाने के नाम पर कोई लिंक आता है और कार्ड से जुड़ी सूचनाएं मांगी जाती हैं तो सावधान हो जाएं। यह लिंक किसी भी माध्यम मेल, व्हाट्सएप और एसएमएस के जरिए आपको भेजा जा सकता है। इस लिंक पर अपने क्रेडिट कार्ड की जानकारी हरगिज न दें।
पिछले करीब छह महीने में ऐसी 60 से ज्यादा शिकायतें दिल्ली पुलिस को मिली हैं, जिनमें साइबर अपराधियों ने क्रेडिट स्कोर बढ़ाने के नाम पर पहले लिंक भेजकर कार्ड की डिटेल हासिल की और फिर खाते से रुपये ट्रांसफर कर लिए।
साइबर एक्सपर्ट का कहना है कि किसी भी अनजान लिंक, स्पैम ई-मेल और कॉल से सावधान रहें। न तो लिंक को खोलें और न ही उसका जवाब दें। दरअसल, इस तरह के लिंक, स्पैम मेल और कॉल के जरिए साइबर ठग आपके क्रेडिट कार्ड की अंतिम चार डिजिट मांगते हैं, फिर धीरे-धीरे आपको बातों में उलझाते हुए बाकी डिटेल भी ले लेते हैं। जबतक आपको कुछ संदेह होता है, तबतक आपके अकाउंट से वे रकम ट्रांसफर कर चुके होते हैं।
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यह न करें
- क्रेडिट कार्ड रखने का पहला नियम यह है कि आप अपना कार्ड नंबर किसी को भी, किसी भी हालत में न बताएं।
- किसी ईमेल, लिंक, वेबसाइट या फिर फोन कॉल पर थोड़ा भी संदेह हो तो उससे बिल्कुल दूर रहें।
- क्रेडिट कार्ड की ओटीपी की जानकारी किसी भी सूरत में किसी को न दें।
- यदि फोन करने वाला कह रहा है कि वह आपके बैंक से बोल रहा है तो भी उसे कार्ड और अकाउंट की जानकारी न दें।
अगर किसी तरह से झांसे में आने की वजह से आपके साथ ठगी हो गई तो तत्काल इसकी सूचना क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले बैंक को दें और कार्ड को ब्लॉक कराएं। यदि आप बैंक को इसकी सूचना समय पर दे देंगे तो आगे का ट्रांजैक्शन रोका जा सकेगा। साथ ही पुलिस को सूचित करें। हर थाने में साइबर अपराध से जुड़ी शिकायत के लिए व्यवस्था की गई है।
लोगों को लगातार जागरूक कर रही है कि लोग साइबर ठगों के झांसे में न आएं। इसके लिए बैंकों के साथ बैठकें कर उन्हें भी लगातार ग्राहकों को इससे बचने के लिए मेल, एसएमएस भेज कर सावधान करने को बोल रही है। साथ ही इस तरह के ठगों पर लगाम लगाने के लिए साइबर यूनिट को मजबूत किया जा रहा है। लगातार कुछ समय पर पुलिसकर्मियों को साइबर मामलों की जांच में पारंगत बनाने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।