हर साल शारदीय नवरात्रि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक मनाई जाती है। इसके अगले दिन दशहरा (Dussehra) मनाया जाता है। इसे विजयादशमी भी कहते हैं। वहीं, इस साल शारदीय नवरात्रि 15 से 23 अक्टूबर तक मनाई जाएगी। इस तरह विजयदशमी यानी दशहरा 24 अक्टूबर को है। पंडित आशीष शर्मा के अनुसार, दशहरा पर तीन विशेष योग बन रहे हैं, जिनमें वृद्धि योग भी शामिल है। आइए, जानें कि दशहरा (Dussehra) पर बनने वाले इन शुभ योगों का क्या महत्व है और पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त क्या है।
दशहरा (Dussehra) शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, दशहरा तिथि 23 अक्टूबर को शाम 5.44 बजे शुरू होगी और 24 अक्टूबर को दोपहर 3.14 बजे समाप्त होगी।
पूजा का शुभ मुहूर्त
दशहरा के दिन पूजा का समय दोपहर 1.13 बजे से 3.18 बजे तक है। इस तरह पूजा की अवधि 2 घंटे 15 मिनट है। वहीं, इस दिन विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से लेकर 02 बजकर 43 मिनट तक रहेगा।
वृद्धि योग
दशहरा के दिन वृद्धि योग बन रहा है। इस दिन दोपहर 3 बजकर 40 मिनट पर वृद्धि योग बन रहा है, जो अगले दिन यानी 25 अक्टूबर की दोपहर 12 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। वृद्धि योग शुभ कार्यों के लिए सर्वोत्तम माना गया है।
रवि योग
दशहरा पर रवि योग का निर्माण भी हो रहा है। यह योग सुबह 06:27 बजे शुरू होकर दोपहर 15:28 बजे तक चलेगा। इसके बाद शाम 06:38 बजे से यह योग पूरी रात रहेगा।
करण
दशहरा के दिन दोपहर 3 बजकर 14 मिनट तक गर करण रहेगा। इसके बाद पूरी रात वणिज करण रहेगा। वणिज एवं गर करण शुभ कार्यों के लिए सर्वोत्तम माने गए हैं।
दशहरा (Dussehra) पंचांग
ब्रह्म मुहूर्त समय – 04 बजकर 45 मिनट से 05 बजकर 36 मिनट तक।
अभिजीत मुहूर्त समय – 11 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 28 मिनट तक।
गोधूलि मुहूर्त समय – शाम 05 बजकर 43 मिनट से 06 बजकर 09 मिनट तक।
निशिता मुहूर्त समय – रात्रि 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक।