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शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभावों से मिलेगी मुक्ति, जानें उपाय

Shani Dev

Shani Dev

हमारे हिंदू धर्म में शनि प्रदोष (Shani Pradosh) व्रत को अत्यधिक महत्वपूर्ण बताया गया है।शनि प्रदोष व्रत की महिमा शास्त्रों और पुराणों में भी बताई गई है। हर माह में दो बार प्रदोष का व्रत आता है। प्रदोष व्रत की हमारे हिंदू धर्म में बहुत मान्यता है। इस दिन शिव और पार्वती की पूजा का विधान है।

जब यही प्रदोष व्रत की तिथि शनिवार के दिन पड़ती है तो उसे शनिवार प्रदोष कहा जाता है जिससे इसकी महत्ता और भी ज्यादा बढ़ जाती है। इस दिन का व्रत वैसे ही फलकारी होता है लेकिन शनि के सहयोग से ये और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। जिन लोगों को शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या सता रही है उनके लिए यह अत्यंत फलकारी व्रत होता है।

शनि प्रदोष (Shani Pradosh) व्रत की तिथि और मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार यह व्रत 24 मई को मनाया जाएगा ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 24 मई को शाम 7:21 पर आरंभ होगी और यह तिथि 25 में 3:51 पर समाप्त होगी। सूर्य उदय के अनुसार यह व्रत 24 में को रखा जाएगा।

शनि प्रदोष (Shani Pradosh) व्रत की महिमा

शनि प्रदोष व्रत का अत्यधिक महत्व है क्योंकि जिन जातकों को शनि की ढैय्या, शनि की साढ़ेसाती या शनि दोष सता रहा है उनके अशुभ प्रभावों से बचने के लिए यह दिन एकदम खास है। शनि प्रदोष व्रत करने से शनि के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है, साथ ही संतान सुख के लिए भी शनि प्रदोष व्रत करना फलकारी होता है। इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से अनेक परेशानियां समाप्त होती हैंअगर किसी की कुंडली में राहु केतु या कालसर्प दोष है तो इस व्रत को रखने से उसके अशुभ प्रभाव भी कम हो जाते हैं। कुल मिलाकर इस दिन का व्रत पूजन शनि की पूजा-अर्चना आपके जीवन से मुश्किलें दूर कर सकती है।

शनि (Shani) के प्रभाव को कम करने के उपाय

शिवलिंग और शनिदेव पर तेल से अभिषेक करें। इससे इन दोनों देवताओं की कृपा प्राप्त होगी।

पीपल की पूजा करें और दीपक जलाएं। शनि प्रदोष व्रत से शिव और शनि दोनों देवों की कृपा एक साथ प्राप्त की जा सकती है।

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