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जाली अंकपत्र लगाकर युवक बना शिक्षामित्र, 15 साल तक शिक्षा विभाग को लगाया चूना

कानपुर जनपद की बिठूर थाना पुलिस ने फर्जी अंकपत्र के जरिए शिक्षामित्र की नौकरी हासिल करने वाले आरोपित को आखिरकार पुलिस गिरफ्त में आ ही गया। गिरफ्तार शिक्षामित्र छह माह पूर्व मुकदमा दर्ज होने के बाद से फरार चल रहा था।

बिठूर थाना प्रभारी संजय पाण्डेय ने बताया कि इलाके के गंगपुर चकबदा में रहने वाले रंजीत गौड़ शिक्षामित्र था। उसने वर्ष 2006 में ग्राम शिक्षा समिति के जरिए शिक्षामित्रो की भर्ती में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के फर्जी अंकपत्र और प्रमाण पत्र लगा नौकरी हासिल की थी। नौकरी पाने के लिए अधिकतम मेरिट के लिए उसने फर्जी अंक पत्र बनवाए थे।

रंजीत वर्तमान में प्राथमिक विद्यालय कल्याणपुर ब्लाक के हिन्दूपुर में तैनात था और पूरा वेतन उठा रहा था। उसके द्वारा फर्जी अंकपत्र लगाए जाने का खुलासा उस वक्त हुआ जब 2020 में शिक्षामित्रो के शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच की गई।

जांच प्रक्रिया में रंजीत के शैक्षणिक कागजात दिखाए वो मूल कापी से अलग थे, इस पर खंडशिक्षा अधिकारी कानपुर को शक हुआ और उनके आदेश पर विद्यालय की प्रधानाचार्या साधना ने रंजीत के खिलाफ बिठूर थाने में जुलाई माह में मुकदमा दर्ज कराया। मुकदमा दर्ज होने के बाद शिक्षामित्र रंजीत फरार हो गया।

थाना प्रभारी ने बताया कि जालसाज शिक्षामित्र रंजीत के बारे में गुरूवार को दरोगा सुभाष वर्मा और सिंहपुर चौकी प्रभारी उग्रसेन सिंह को उसके बारे में जानकारी मिली। जिसके आधार पर पुलिस टीम ने रंजीत को कटरी के मोहनपुरवा गांव के पास से गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस की पूछताछ में रंजीत ने बताया कि उसने नौकरी पाने के लिए ग्राम शिक्षा समिति को फर्जी अंकपत्र की छायाप्रतियां दी थी। पुलिस ने गिरफ्तार आरोपित को जेल भेजते हुए कार्रवाई की।

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