Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

नैनीताल में 119वें नंदा देवी महोत्सव का शुभारंभ, सांस्कृतिक कार्यक्रमों से हुई शुरुआत

119th Nanda Devi Festival

119th Nanda Devi Festival

प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर आयोजित होने वाले, प्रदेश की कुलदेवी माता नंदा देवी के महोत्सव के प्रणेता नैनीताल में 119वें नंदा देवी महोत्सव का शुभारंभ हो गया है। महोत्सव की शुरुआत रंगारंग धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ हुई।

इस दौरान आयोजक संस्था श्रीराम सेवक सभा का दल माता नंदा-सुनंदा की मूर्तियों के निर्माण के लिए पवित्र कदली वृक्षों को लाने हेतु ज्योलीकोट के सड़ियाताल के लिए इन कदली दलों के बदले प्रत्यारोपण के लिए 21 पौधे एवं परंपरागत लाल ध्वज को आगे लेकर रवाना हुआ। अब रविवार को दल श्वेत ध्वज की अगुवाई में पवित्र कदली दलों के साथ नगर में पहुंचेंगे और उनसे मूर्तियों का निर्माण किया जाएगा।

शुभारंभ कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पुलिस उपमहानिरीक्षक डॉ. नीलेश आनंद ने नंदा देवी महोत्सव के जरिए संस्कृति को संरक्षित करने का एक बहुत ही सुंदर प्रयास बताया। इस दौरान आयोजक संस्था श्रीराम सेवक सभा द्वारा डीआईजी के साथ ही पूर्व विधायक डॉ. नारायण सिंह जंतवाल व सरिता आर्य तथा संयुक्त मजिस्ट्रेट प्रतीक जैन को कुमाउनी टोपी एवं मां नंदा-सुनंदा की भव्य तस्वीर भेंटकर तथा तिलक लगाकर स्वागत-अभिनंदन किया गया।

प्रदेश के 34 जिलों में कोविड का एक भी एक्टिव केस नहीं : सहगल

इस अवसर पर बाल कलाकारों ने गीतकार प्रभात साहगंगोला तथा संगीतकार नरेश चमियाल, राहुल जोशी एवं गिरिश भट्ट आदि के निर्देशन में गणेश वंदना तथा नंदा चालीसा प्रस्तुत की। कोटाबाग से आई अर्चना भट्ट ने ‘दिन रंगीली भ्या’ गीत प्रस्तुत किया, जिसका संगीत प्रकाश एवं विनोद ने दिया। कदली दलों के बदले पर्यावरण एवं संस्कृति संरक्षण हेतु रोपे जाने के लिए पर्यावरण प्रेमी यशपाल रावत की ओर से जामुन, कचनार, पीपल, बट, हरड़ व बहेड़ा आदि प्रजातियों के 21 पौधे उपलब्ध कराए गए।

पूजन आचार्य पंडित भगवती प्रसाद जोशी एवं घनश्याम जोशी द्वारा इनका पूजन कर दल को उत्तराखंड की संस्कृति एवं परंपरा अनुसार विजय के प्रतीक लाल एवं शांति के प्रतीक सफेद झंडे के साथ अतिथियों द्वारा कदली दल लाने के लिए ज्योलीकोट के सड़ियाताल को रवाना किए गए।

बताया गया कि आगे रविवार कदली दल मां वैष्णो देवी मंदिर तल्लीताल एवं सूखरताल होते हुए मां नयना देवी मंदिर परिसर में लाये जाएंगे। तत्पश्चात लोक पारंपरिक कलाकार मूर्ति निर्माण का कार्य प्रारंभ करेंगे।

Exit mobile version