सियाराम पांडेय ‘शांत’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सक्रिय और जिम्मेदार राजनीति के 19 साल पूरे हो गए। 7 अक्टूबर 2001 को पहली बार वे गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे। 2014 में प्रधानमंत्री बनने तक लगातार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे। उनके 19 साल के इस राजनीतिक सफर पर भारतीय जनता पार्टी ने उनकी इन 19 वर्षों की उपलब्धि पर ‘ हर साल खास है’ की एक श्रृंखला जारी की है। यूं तो नरेंद्र मोदी का राजनीतिक सफर पांच दशक से भी तीन साल अधिक का है।
अगर भाजपा में उनकी राजनीतिक सक्रियता की अवधि पर विचार करें तो वह पर भी लगभग 32 साल की है। 1967 में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक से बतौर स्वयंसेवक जुड़े थे। 1974 में उन्होंने नव निर्माण आंदोलन में शिरकत की। सक्रिय राजनीति में आने से पहले मोदी कई वर्षों तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे। 1980 के दशक में वे गुजरात की भाजपा इकाई में शामिल हुए। वे वर्ष 1988-89 में भारतीय जनता पार्टी की गुजरात इकाई के महासचिव बनाए गए।
लाल कृष्ण आडवाणी की 1990 की सोमनाथ-अयोध्या रथ यात्रा के आयोजन में उनकी अहम भूमिका रही। इसके बाद उन्हें 1995 में भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय सचिव और पांच राज्यों का पार्टी प्रभारी बनाया गया। इसके बाद 1998 में उन्हें महासचिव (संगठन) बनाया गया। इस पद पर वे अक्टूबर 2001 तक रहे। 2001 में केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद मोदी को गुजरात की कमान सौंपी गई। उस समय गुजरात में भूकंप आया था और भूकंप में 20 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे।
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मोदी के सत्ता संभालने के लगभग पांच महीने बाद ही गोधरा रेल हादसा हुआ जिसमें कई हिंदू कारसेवक मारे गए। इसके ठीक बाद फरवरी 2002 में ही गुजरात में मुसलमानों के खिलाफ़ दंगे भड़क उठे। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात का दौरा कर नरेंद्र मोदी को राजधर्म निभाने की सलाह दी थी। इसे वाजपेयी की नाराजगी के तौर पर देखा गया। मोदी पर आरोप लगे कि वे दंगों को रोक नहीं पाए और उन्होंने अपने कर्तव्य का निर्वाह नहीं किया। जब भारतीय जनता पार्टी में उन्हें पद से हटाने की बात उठी तो उन्हें तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और उनके खेमे की ओर से समर्थन मिला और वे पद पर बने रहे।
भाजपा ने हर साल खास है श्रृंखला में उनके 20 साल की 20 उपलब्धियां गिनाई हैं। इसमें दो साल 2001 जहां उनके मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए याद किया गया है, वहीं, 2002 मोदी के नेतृत्व में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव और भाजपा की रिकॉर्ड जीत के लिए याद किया गया है। 2003 विकास के लिहाज से गुजरात के लिए बेहद अहम रहा। वर्ष 2003 में पहले ‘वाइब्रेंट गुजरात’ ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया गया। समिट के दौरान 14 अरब डॉलर के 76 सहमति ज्ञापन हस्ताक्षर हुए।
वर्ष 2004 में उन्होंने बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए कन्या केलवणी योजना और शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम का श्रीगणेश किया। वर्ष 2005 में गुजरात में लिंगानुपात सुधारने के लिहाज से उन्होंने बेटी बचाओ अभियान लांच किया और राज्य में इसका भारी प्रभाव नजर भी आया। वर्ष 2006 में उन्होंने गुजरात को ज्योतिग्राम योजना का तोहफा दिया। इन योजनाओं और उपलब्धियों का असर रहा कि 2007 के विधान सभा चुनाव में गुजरात में भाजपा तीसरी बार जीती और नरेंद्र मोदी गुजरात के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्री बने। वर्ष 2008 में उन्होंने गुजरात की धरती पर टाटा नैनो का स्वागत किया।
बंगाल में टाटा नैनो के विरोध के का लाभ नरेंद्र मोदी ने उठाया और इसका नतीजा यह हुआ कि गुजरात कार उत्पादन का हब बन गया। वर्ष 2009में उन्होंने ई-ग्राम, विश्व-ग्राम योजना का उद्घाटन किया। वर्ष 2010 में गुजरात के 50 साल के इतिहास को एक सहस्त्राब्दी तक सहेजने के लिए 90 किलो के टाइम कैप्सूल में सील किया गया। वर्ष 2011 में 17 सितम्बर को उन्होंने राज्य में सद्भावना मिशन कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें लाखों लोगों ने शिरकत की।
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वर्ष 2012 में 26 दिसम्बर को नरेंद्र मोदी चौथी बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने। अगर गुजरात के विकास के नजरिये से ही देखें तो उनके कार्यकाल में गुजरात न केवल देश भर में विकास का मॉडल बना बल्कि इतिहास और स।सकृति के संबर्घन के लिहाज से भी यह समय गुजरात के बेहद अनुकूल रहा। वर्ष 2013 में 13 सितम्बर को भाजपा की संसदीय बोर्ड की बैठक में मोदी को पीएम उमीदवार बनाने का निर्णय लिया गया। इसका राजनीतिक विरोध भी कम नहीं हुआ, लेकिन मोदी सारी बाधाओं को पार करते हुए वर्ष 2014 में 26 मई को भारत के 15वें प्रधानमंत्री बन गए।
उनकी पहल पर वर्ष 2015 में 21 जून को दुनिया भर में पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। वर्ष 2016 में भ्रष्टाचार, काले धन और जाली मुद्रा से लड़ने के लिए नोटबंदी की गई और डिजिटल लेन-देन के लिए भीम यूपीआई लॉन्च किया गया। वर्ष 2017 में एक देश एक कर प्रणाली, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू किया गया। वर्ष 2018 में दुनिया की सबसे उंची प्रतिमा स्टेचू ऑफ़ यूनिटी राष्ट्र को समर्पित किया गया। वर्ष 2019 में मोदी प्रचंड जीत के साथ लगातार दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने।
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वर्ष 2020 में सही समय पर पूर्ण लॉकडाउन लगाकर कोरोना को महामारी बनने से रोका। जन-जन तक बीमारी से लड़ने की जानकारी पहुंचाई और लोगों को जागरूक किया। यह तो उनकी उपलब्धियों की बानगी भर है। दरअसल नरेंद्र मोदी हर क्षण नया सोचते और करते हैं। वे भारतीयवासियों का जनस्तर सामान्य बनाने और उनकी मुश्किलों को कम करने की ओर सतत सचेष्ट हैं। उन्होंने भारतीय सेना को न केवल मजबूती दी है, बल्कि उसका मनोबल भी बढ़ाया है। अगर यह कहें कि वह सशक्त, समर्थ, आधुनिक और आत्मनिर्भर भारत निर्माण की अपनी अवधारणा को पूरा करने के लिए दिन—रात एक कर रखा है।
2001 में 7 अक्टूबर को गुजरात के सीएम बनने के दिन से उन्होंने बिना रुके, बिना थके, बिना आराम किए हर दिन देशहित और जनसेवा में समर्पित एक ऐसा सफर तय किया जिसने नित नए आयाम स्थापित किए हैं। इस बात से शायद ही किसी को कोई गुरेज हो। चाहे भुज को भयावह भूकंप से बाहर निकालकर विकासपथ पर अग्रसर करना हो या गुजरात को शांति और सौहार्द का प्रतीक बनाना हो या फिर देश को विकास एवं प्रगति का एक गुजरात मॉडल देना, यह सिर्फ मोदी की कटिबद्धता की बदौलत ही मुमकिन हो सका है।
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प्रधानमंत्री के रूप में विभिन्न ऐतिहासिक योजनाओं एवं कार्यों से करोड़ों गरीब, किसान, महिला तथा समाज के वंचित वर्ग को सशक्त कर उनके जीवन में एक सकारात्मक बदलाव लाने का उनका काम भी किसी से छिपा नहीं है। सच तो यह है कि उन्ळोंने देश के 138 करोड़ की आबादी की आकांक्षाओं को न केवल समझा है बल्कि उसे आगे बढ़ाने की दिशा में वे तत्पर भी हैंं। चाहे गुजरात सरकार के मुख्यमंत्री का दायित्व रहा हो या फिर प्रधानमंत्री पद का, वह उनके सिर पर कांटों के ताज जैसा ही रहा है। चुनौतियों ने कदम—कदम पर उनकी परीक्षा ली है लेकिन नरेंद्र मोदी उन नेताओं में नहीं हैं जो हारकर बैठ जाएं।
संकट और चुनौती से लड़ रहे लोगों के साथ अग्रिम पंक्ति में खड़ा होना और उन्हें इस बात का विश्वास दिलाना— एहसास कराना कि उनके साथ प्रधानमंत्री और यहां तक कि पूरा देश खड़ा है, उनकी गंभीरता, मेहनत और मजबूती का परिचायक है। प्रधानमंत्री के तौर पर पिछले छह सालों से नरेन्द्र मोदी भारत और भारतवासियों की प्रतिष्ठा पूरे विश्व में बढ़ा रहे हैं। उनके नेतृत्व में अब भारत आत्मनिर्भरता के पथ पर आगे बढ़ रहा है और देश को नई पहचान और ताकत मिल रही है।
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नरेंद्र मोदी की सक्रियता का ही प्रतिफल है कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में कोलकाता ईस्ट वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर परियोजना के लिए नए संशोधित लागत के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। लंबे समय से अटकी 8575 करोड़ लागत की इस परियोजना के पूरा होने पर कोलकाता समेत 24 उत्तरी परगना और हावड़ा जिलों में रहने वाले 8 लाख लोगों को बहुत फायदा पहुंचेगा। इस परियोजना में 12 स्टेशन होंगें और मेट्रो की लाइन हुगली नदी के पश्चिमी किनारों को हावड़ा जबकि पूर्वी किनारों को सॉल्ट लेक क्षेत्र से जोड़ेगी। कुल मिलाकर देखा जाए तो नरेंद्र मोदी देश की बेहतरी के हर संभव उद्योग कर रहे है।