कोलकाता। पश्चिम बंगाल में सामने आए शिक्षा घोटाले में अर्पिता मुखर्जी (Arpita Mukherjee) की मुसीबत बढ़ती जा रही है। बुधवार दोपहर से ही ईडी की एक टीम उनके दूसरे घर पर मौजूद है और जांच की जा रही है। खबर है कि एक बार फिर उनके घर पर बड़ी संख्या में पैसे मिले हैं। अमाउंट इतनी ज्यादा है कि ईडी ने नोट गिनने वाली मशीनें मंगवा ली हैं।
जानकारी मिली है कि ईडी ने इस बार अर्पिता (Arpita Mukherjee) के क्लब टाउन वाले अपॉर्टमेंट में रेड मारी थी। ऐसे इनपुट मिले थे कि वहां पर भी कैश छिपाकर रखा गया। अब ईडी जांच में फिर वहां से नोटों का अंबार मिल गया है। कितनी अमाउंट है, ये अभी तक स्पष्ट नहीं, लेकिन ईडी ने नोट गिनने वाली मशीनें मंगवा ली हैं। अभी तक ईडी ने इस मामले में 22 करोड़ कैश बरामद कर लिया है। विदेशी करेंसी भी जब्त की गई है। पिछली रेड में अर्पिता के घर से 20 से ज्यादा फोन और कई कंपनियों के दस्तावेज भी बरामद किए गए थे।
इसी शिक्षा घोटाले मामले में ईडी पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री पार्थ चटर्जी को भी गिरफ्तार कर चुकी है। इस घोटाले में उनसे भी कई घंटों की पूछताछ हुई है। ब्लैक डायरी को लेकर भी कई सवाल दागे गए हैं। ये वही डायरी है जो ईडी को अर्पिता के घर से मिली थी। बताया जा रहा है कि ये डायरी बंगाल सरकार के Department of Higher And School Education की है। इस डायरी में 40 पन्ने ऐसे हैं, जिनमें काफी कुछ लिखा हुआ है। यह डायरी एसएससी स्कैम घोटाले की कई परतें खोल सकती है।
बड़ी बात ये भी है कि ईडी को पार्थ के घर से क्लास सी और क्लास डी सेवाओं में भर्ती के उम्मीदवारों से संबंधित दस्तावेज मिले हैं। सबूतों से पता चलता है कि पार्थ चटर्जी सक्रिय रूप से ग्रुप डी के कर्मचारियों की नियुक्ति में शामिल हैं।
50 घंटे का धरना दे रहे हैं राज्यसभा से सस्पेंड सांसद, पूरी रात किया जाएगा प्रदर्शन
लेकिन अभी तक पार्थ चटर्जी की तरफ से जांच में ज्यादा सहयोग नहीं किया गया है। ईडी के मुताबिक हर सवाल का जवाब उन्होंने सिर्फ इतना दिया है कि उन्हें कुछ नहीं पता। ऐसे में आने वाले दिनों में उनके सामने सबूतों के आधार पर और ज्यादा सवाल दागे जा सकते हैं। अर्पिता मुखर्जी से भी सवालों का सिलसिला बढ़ सकता है। अभी तक उनके घर से कैश मिलने की प्रक्रिया जारी है।
अर्पिता का कबूलनामा, पार्थ की चुनौती
पार्थ चटर्जी की मुसीबत इसलिए भी ज्यादा बढ़ सकती है क्योंकि पूछताछ में अर्पिता ये स्वीकार कर चुकी हैं कि घर में बरामद हुआ कैश पार्थ का है। यहां तक दावा हुआ है कि पैसों को अर्पिता मुखर्जी से जुड़ी कंपनियों में लगाने की योजना थी। नकद राशि भी एक-दो दिन में उसके घर से बाहर ले जाने की तैयारी थी।
हर 10 दिन में मेरे घर आते थे पार्थ चटर्जी, अर्पिता मुखर्जी ने किए हैरतंगेज खुलासे
लेकिन ये सब होता पाता, उससे पहले ही ईडी ने नोटों के उस पहाड़ को अपने कब्जे में ले लिया और इस घोटाले में कई बड़े नाटकीय मोड़ आ गए।