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चीनी फौज से झड़प में अदम्य शौर्य पटखनी देने वाले आईटीबीपी के 21 जवानों को मिला पदक

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में मई और जून माह में चीनी फौज के साथ हुई झड़पों के दौरान साहस और शौर्य का परिचय देने वाले भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के 21 जवानों की बहादुरी पदक से नवाजे जाने की घोषणा की है। इसके अलावा 294 आईटीबीपी जवानों को बहादुरी के लिए आईटीबीपी डीजी का ‘गैलेंट्री प्रशंसा-पत्र’ मिला है।

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कोविड-19 के प्रसार को रोकने और इसके चिकित्सीय प्रबंधन के लिए 318 आईटीबीपी और 40 अन्य सीएपीएफ कर्मियों के नाम भी केंद्रीय गृह मंत्री के विशेष ऑपरेशन मेडल के लिए चयनित किया है।

बता दें कि आईटीबीपी ने उन 21 कर्मियों के नाम बहादुरी पदक के लिए अनुशंसित किए थे, जिन्होंने पिछले दिनों पूर्वी लदाख में चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़पों के दौरान उनका बहादुरी से डटकर सामना किया था।

आईटीबीपी जवानों ने शील्ड का प्रभावशाली उपयोग करते हुए बहुत पराक्रम के साथ वहां भारी संख्या में मौजूद पीएलए सैनिकों को आगे बढ़ने से रोके रखा। स्थिति को नियंत्रण में रखते हुए आईटीबीपी ने बहुत आला दर्जे के युद्ध कौशल का परिचय दिया था।

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आईटीबीपी जवानों ने कंधे से कंधा मिलकर बहादुरी के साथ संघर्ष किया। भारतीय सेना के घायल जवानों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने में भी इस बल ने अहम भूमिका निभाई थी। एक समय ऐसा भी आया, जब आईटीबीपी के जवानों ने पूरी रात पीएलए का सामना किया। 17 से 20 घंटों तक उन्हें जवाबी कार्रवाई करते हुए रोके रखा।

चीनी सैनिकों ने आगे बढ़ने के हर संभव प्रयास किया, लेकिन आईटीबीपी के जवानों ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया। एसएस देसवाल, डीजी आईटीबीपी ने 294 जवानों को ईस्टर्न लद्दाख में चीनी सैनिकों का शौर्य और बहादुरी के साथ सामना करने के लिए डीजी प्रशंसा पत्र और प्रतीक चिन्ह भी प्रदान किया है।

बल के 6 अन्य जवानों को छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के विरुद्ध सफल अभियानों के लिए डीजी प्रशंसा पत्र और प्रतीक चिन्ह प्रदान किया गया है।

इसके साथ ही आईटीबीपी ने अपने 318 कर्मियों और 40 अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के कर्मियों के नाम केंद्रीय गृहमंत्री स्पेशल ऑपरेशन ड्यूटी मेडल के लिए भेजे हैं। इन्होंने कोरोना के प्रसार को रोकने और अन्य प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आईटीबीपी जनवरी से ही कोरोना के विरुद्ध संघर्ष में बढ़ चढ़कर भाग लेती रही है।

इसी बल ने देश का पहला 1000 बिस्तरों का क्वारंटीन केंद्र छावला में बनाया था, जिसमें वुहान और बाद में इटली से आए भारतीय नागरिकों को रखा गया था। नई दिल्ली के छतरपुर में 10 हजार बिस्तरों वाला विश्व का सबसे बड़े सरदार कोविड केयर सेंटर और हॉस्पिटल भी आईटीबीपी संचालित कर रही है।

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