लखनऊ के वजीरगंज स्थित ऑलमाइटी हॉस्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर पर मरीज की मौत के बाद भी उसे 24 घंटे तक आईसीयू में रखने का आरोप लगा है। इसे लेकर परिजनों ने हंगामा किया। उनका आरोप है कि ऐसा रुपयों की वसूली के लिए किया गया है। परिजनों ने पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दी। परिवार का कहना है कि पुलिस ने शव दिलवाया। परिजन शव लेकर चले गए।
जानकारी के मुताबिक, निजी कंपनी में काम करने वाले काकोरी के रवि यादव (30) सड़क हादसे में 30 नवंबर को घायल हो गए थे। पुलिस उन्हें पहले ट्रॉमा सेंटर ले गई। वहां घायल को बेड नहीं मिला। घायल के परिवार के लोग भी ट्रॉमा सेंटर पहुंच गए।
वहां मौजूद दलाल ने परिजनों को झांसे में लेकर घायल को ऑलमाइटी हॉस्पिटल भेजवा दिया। वहीं इस मामले में वजीरगंज इंस्पेक्टर श्यामबाबू शुक्ला का कहना है कि डायल 112 पर आई सूचना के बाद पुलिस मौके पर गई होगी। कोई तहरीर नहीं आई है। तहरीर मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
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भाई वीर सिंह का आरोप है कि पांच दिन भर्ती रहने के दौरान पैर की सर्जरी के नाम पर ढाई लाख रुपये वसूल लिए। अस्पताल में सर्जरी की सुविधा न होने पर दूसरे सेंटर पर ले जाकर सर्जरी कराई गई। इसमें भी लापरवाही हुई। संक्रमण से हालत गंभीर होती गई और शनिवार को जान चली गई।
भाई का आरोप है कि मौत बाद भी आईसीयू में लिटाए रखा है। इस दौरान दवा व बिल जमा कराया गया। 24 घंटे तक किसी भी परिजन को अंदर नहीं जाने दिया गया। रविवार दोपहर परिजनों ने हंगामा शुरू किया। पुलिस ने पड़ताल की। परिजन अंदर गए तो शरीर में कोई हरकत नहीं दिखी। शरीर अकड़ गया था। भाई ने अंतिम संस्कार के बाद मामले की लिखित शिकयत करने की बात कही है।
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मामला बेहद गंभीर है। अगर परिवार से शिकायत आती है तो पूरे मामले की जांच कराई जाएगी। इसके बाद कार्रवाई की जाएगी। – डॉ. संजय भटनागर, सीएमओ
मरीज की मौत होने के बाद उसे आईसीयू में लिटाए रखने का आरोप गलत है। परिजनों से इलाज के लिए कुल 1.60 लाख रुपये ही लिए गए हैं। – आलोक सिंह, संचालक, ऑलमाइटी हॉस्पिटल