गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है. इस तिथि को वेद व्यास जी का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन व्यास पूजा या व्यास जयंती भी मनाते हैं. उन्होंने पुराणों की रचना की और वेदों का विभाजन किया, उनके सम्मान में ही हर साल गुरु पूर्णिमा मनाते हैं. इस वर्ष गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई दिन बुधवार को है. इस दिन गुरुओं का पूजन और सम्मान किया जाता है. आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) पर बनने वाले राजयोग, शुभ मुहूर्त आदि के बारे में.
गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) तिथि
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 13 जुलाई को प्रात: 04:00 बजे हो रहा है और इसका समापन उसी दिन देर रात 12:06 बजे हो रहा है. उदयातिथि के आधार पर गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई को मनाई जाएगी.
चार राजयोग में गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima)
श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी के अनुसार, इस वर्ष गुरु पूर्णिमा के दिन मंगल, बुध, गुरु और शनि की शुभ स्थितियों से रुचक, भद्र, हंस और शश नामक 4 राजयोग बन रहे हैं. इनके साथ ही बुधादित्य योग भी गुरु पूर्णिमा को विशेष बना रहे हैं. पंच तारा ग्रहों में शुक्र दैत्य गुरु हैं, जो कि अपने मित्र के घर में बैठे हैं, यह भी शुभ संयोग ही है कि पांच ग्रह मुदित अवस्था में उपस्थिति देंगे.
गुरु मंत्र प्राप्ति मुहूर्त
गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) पर इन्द्र योग प्रात:काल से लेकर दोपहर 12:45 बजे तक है. गुरु पूर्णिमा के दिन इस योग में जो व्यक्ति गुरु मंत्र लेता है, सर्वत्र विजयी होता है.
गुरु पूर्णिमा (Guru Purnima) का महत्व
इस सृष्टि में जल से भी पतला क्या है? इसका जवाब है ज्ञान. गुरु ही ज्ञान को देने वाले हैं. गुरु के बिना अज्ञान रूपी अंधकार दूर नहीं हो सकता है और न ही उनकी कृपा के बिना व्यक्ति इस भवसागर को पार कर सकता है. इस वजह से ही कहा गया है कि गुरु का स्थान ईश्वर से भी पहले आता है. वह जीवन का सच्चा मार्ग दिखाते हैं. इस वजह से उनकी पूजा के लिए आषाढ़ पूर्णिमा का दिन नियत किया गया है. इस तिथि को जन्मे वेद व्यास जी ने ग्रथों की रचनाएं करके इस संसार में ज्ञान का प्रसार किया और सत्य का मार्ग दिखाया है.