हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) मनाई जाती है। वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी इस वर्ष 1 नवंबर को है। इस दिन गणपति बप्पा की विधि-विधान से पूजा की जाती है। शुभ कार्यों में सफलता पाने के लिए भी इस दिन व्रत रखा जाता है। चतुर्थी तिथि पर व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन के सभी प्रकार के कष्ट और परेशानियां दूर हो जाती हैं। पंडित आशीष शर्मा के अनुसार, वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) की तिथि पर दुर्लभ शिव योग समेत 6 अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन योगों में भगवान गणेश की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) शुभ मुहूर्त
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर को रात 9.30 बजे शुरू होगी और 1 नवंबर को रात 9.19 बजे समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मानी जाती है। इसलिए वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी 1 नवंबर को मनाई जाएगी।
शिव योग
ज्योतिषियों के मुताबिक, वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी पर दुर्लभ शिव योग बन रहा है। यह योग दोपहर 2.07 बजे शुरू होगा, जो पूरे दिन रहेगा। इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक की मनोकामना पूरी होती है।
सर्वार्थ सिद्धि योग
वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 06:33 बजे से अगले दिन 2 नवंबर 04:36 बजे तक है। इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को विशेष कार्य में सफलता मिलती है।
करण
पहली बार वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी के दिन बव करण का निर्माण हो रहा है। वणिज करण 9:01 बजे तक है। इसके बाद बालव करण का निर्माण जारी रहेगा, जो रात्रि 9.30 बजे तक रहेगा। रात्रि 09 बजकर 30 मिनट पर कौलव करण बन रहा है। इन करणों को शुभ माना जाता है।