लखनऊ। मैदानी इलाकों के मुकाबले थारू जनजाति (Tharu tribe) की महिलाओं में एनीमिया (Anemia) की गंभीर समस्या अधिक देखने को मिली है। 65 फीसदी जनजाति महिलाओं में एनीमिया पाई गई है। चिंता की बात यह है कि इसमें से एक बड़े आबादी में एनीमिया खान-पान से जुड़ी नहीं है, बल्कि अनुवांशिक (जेनेटिक) है। जिसका इलाज दवाओं से फिलहाल संभव नहीं है। सिर्फ बच्चों के ब्याह से पहले जेनेटिक काउंसिलिंग कराकर ही बीमारी को आने वाली पीढ़ी को बचा सकते हैं। यह खुलासा केजीएमयू और नेशनल मेडिकोज आर्गेनाइजेशन के संयुक्त शोध हुआ है। शोध पत्र जनरल ऑफ फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर में प्रकाशित हुआ है।
भारत नेपाल बार्डर पर बसी 500 थारू जनजाति (Tharu tribe) महिलाओं पर शोध किया गया। 16 साल से 45 साल की महिलाओं को शोध में शामिल किया गया। केजीएमयू हीमेटोलॉजी विभाग के पूर्व सीनियर रेजिडेंट डॉ. भूपेंद्र सिंह ने बताया कि 65 फीसदी थारू जनजाति की महिलाओं में एनीमिया मिला। अच्छी बात यह रही की इसमें से केवल नौ फीसदी महिलाओं में सिवियर एनीमिया मिला। इसी प्रकार महिलाओं में आरबीसी (लाल रक्त कणिकाएं) के आकार के आधार पर जब एनिमिया का विश्लेषण किया गया तो काफ़ी कम महिलाओं में सामान्य से बड़े आकार का मिला, क्योंकि ये लोग नियमित मांसाहार करते हैं। लिहाजा इनमें विटमिन बी-12 की कमी से होने वाले एनीमिया की आशंका कम होती है। बाकी 56 फीसदी महिलाओं के शरीर में जो खून की कमी देखने को मिली उसमें छोटे आकार के आरबीसी दिखा जिसका कारण आयरन या फिर जेनेटिक गड़बड़ी है।
मैदानी इलाकों में ज्यादातर महिलाओं में खून की कमी, आयरन, विटमिन बी-12 व फोलिक एसिड की कमी से होता है। यह तत्व पौष्टिक भोजन से मिलते हैं। खान-पान दुरुस्त कर खून की कमी को दूर किया जा सकता है। मैदानी इलाके की महिलाओं में जेनेटिक एनीमिया केवल साढ़े तीन प्रतिशत है, जबकि आश्चर्यजनक रूप से इस जनजाति में यह बाईस प्रतिशत पाया गया है।
एनीमिया की समस्या से हैं परेशान तो डाइट में इन चीजों को करें शामिल
डॉ. भूपेंद्र ने बताया कि जनजाति महिलाओं को खून की कमी व इससे होने वाली बीमारी से बचाव के लिए शादी से पहले जेनेटिक काउंसिलिंग कराना चाहिए। जन्म के बाद प्रत्येक बच्चे का हीमोग्लोबिन इलेक्टोफोरेसिस जांच करा कराना चाहिए ताकि अनुवांशिक खून से जुड़ी बीमारी का पता लगाया जा सके।
भारत नेपाल सीमा पर पाए जाने वाली यह जनजाति उत्तर प्रदेश की सबसे बड़े आबादी वाली जनजाति है। नेपाल सरकार द्वारा पहले से अपने क्षेत्र में पाए जाने वाले थारु समाज में जनजागरण का काम चलाया जा रहा है पर भारत में इस जनजाति में शोध की कमी के कारण अभी ऐसी कोई योजना नहीं चलायी गयी है। इन शोधों के बाद इस जनजाति का पहली बार विश्वसनीय आँकड़ा इकट्ठा हुआ है।