नई दिल्ली| देश के दूसरे सबसे बड़े खुदरा ईंधन विक्रेता भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के एलपीजी ग्राहकों को घरेलू गैस पर सब्सिडी निजीकरण के बाद जारी रहेगा। यह आश्वासन केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को दिया। प्रधान ने पीटीआई भाषा से कहा कि प्रधान ने कहा कि एलपीजी सब्सिडी का भुगतान सभी सत्यापित ग्राहकों को डिजिटल रूप से किया जाता है।
उन्होंने कहा, “चूंकि यह उपभोक्ताओं को सीधे भुगतान किया जाता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि सर्विसिंग कंपनी सार्वजनिक क्षेत्र या निजी क्षेत्र है। विनिवेश के बाद भी BPCL उपभोक्ताओं के लिए एलपीजी सब्सिडी पहले की तरह जारी रहेगी।”
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यह पूछे जाने पर कि क्या बीपीसीएल के उपभोक्ता कुछ वर्षों के बाद आईओसी और एचपीसीएल में स्थानांतरित हो जाएंगे, उन्होंने कहा कि अभी ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने कहा, “जब हम सीधे उपभोक्ताओं को सब्सिडी का भुगतान करते हैं, तो स्वामित्व उस रास्ते में नहीं आता है।” BPCL मुंबई (महाराष्ट्र), कोच्चि (केरल), बीना (मध्य प्रदेश), और नुमालीगढ़ (असम) में प्रतिवर्ष 38.3 मिलियन टन की संयुक्त क्षमता के साथ चार रिफाइनरियों का संचालन करती है, जो कि भारत की 249.8 मिलियन की कुल शोधन क्षमता का 15.3 प्रतिशत है।
बता दें केंद्र सरकार एक साल में प्रत्येक घर में 14.2 किलो के 12 रसोई गैस सिलेंडर (एलपीजी) सब्सिडी वाली दर पर देती है। यह सब्सिडी सीधे उपयोगकर्ताओं के बैंक खातों में भुगतान की जाती है। सब्सिडी का भुगतान एडवांस में किया जाता है और उपभोक्ता इसका उपयोग एलपीजी रिफिल खरीदने के लिए करते हैं, जो केवल तेल विपणन कंपनियों – इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), BPCL और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) के डीलरों से बाजार मूल्य पर उपलब्ध हैं।जिस पल में सब्सिडी का उपयोग करके रिफिल खरीदा जाता है, उपयोगकर्ता बैंक खातों में एक और किस्त हस्तांतरित कर दी जाती है।