नई दिल्ली। पूरी दुनिया में वैक्सीन का सबसे ज्यादा उत्पादन भारत का सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में होता है। इस संस्थान को इतना बड़ा ब्रांड और इसका नाम पूरी दुनिया में मशहूर कराने के पीछे जिस शख्स की सोच और लगन ने काम किया है, वो हैं इसके सीईओ अदार पूनावाला। कोरोना महामारी के दौरान सम्पूर्ण विश्व भारत की तरफ देख रहा है, तो इसकी वजह यह है कि वैक्सीन उत्पादन की सबसे ज्यादा क्षमता हमारे पास ही है। आइए, जानते है कि कौन है अदार पूनावाला।
कोरोना के खिलाफ जंग में पूरी दुनिया को शिद्दत से इंतजार है वैक्सीन का। ऐसे में एक बार फिर विश्व की निगाहें भारत पर आ टिकी हैं। इसकी वजह यह है कि वैक्सीन चाहे कोई भी आ जाए, लेकिन जितनी उत्पादन क्षमता भारत के पास है उतनी विश्व में किसी देश के पास नहीं है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका है पुणो स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की। यह विश्व का सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादन केंद्र है। आज हम इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अदार पूनावाला के अब तक के सफर पर एक नजर डालने जा रहे हैं, जिनसे भारत समेत पूरी दुनिया को बड़ी उम्मीदें हैं।
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सीरम इंस्टीट्यूट की स्थापना 1966 में भले ही डॉ. साइरस पूनावाला ने की, लेकिन इसे वास्तव में विस्तार उनके पुत्र अदार ने दिया। आज इस सीरम इंस्टीट्यूट के उत्पादों का निर्यात 165 से भी ज्यादा देशों में होता है। दुनिया के 70 फीसद बच्चों को सीरम में तैयार हुई कोई न कोई वैक्सीन दी जाती है। इसमें सबसे अहम योगदान अदार का ही रहा, जिन्होंने कंपनी से जुड़ने के बाद ही निर्यात बढ़ाने पर फोकस किया।
14 जनवरी, 1981 को महाराष्ट्र के पुणो में एक पारसी परिवार में जन्मे अदार अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। पुणो के बिशप स्कूल से शुरुआती शिक्षा हासिल करने के बाद अदार ने आगे की पढ़ाई के लिए ब्रिटेन के सेंट एडमंड्स स्कूल, कैंटरबरी में दाखिला लिया। ग्रेजुएशन ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टमिंस्टर से की। अदार ने शुरू में ही तय कर लिया था कि वह अपने पिता के साथ उनके काम में जुड़ेंगे और स्नातक करने के बाद 2001 में वह सीरम इंस्टीट्यूट के साथ जुड़ गए।
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उन्होंने शुरुआत से ही इस बात पर फोकस किया कि उनके यहां तैयार उत्पादों का निर्यात अधिक से अधिक देशों तक किया जाए। उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से नए उत्पादों के लिए लाइसेंस लेने शुरू किए और अपने उत्पादों को यूनीसेफ (यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रेंस फंड) और पीएएचओ (पैन अमेरिकन हेल्थ आर्गेनाइजेशन) जैसी संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों तक पहुंचाने की शुरुआत की।