Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

कोरोना संक्रमण ने रोका मुगलकालीन त्रिपोलिया गेट के संरक्षण का काम

tripoliya gate

tripoliya gate

नई दिल्ली। मुगलों के समय में बने त्रिपोलिया गेट की हालत जर्जर हो चुकी है। इस मुगली दरवाजे की हालत इस कदर खराब है कि इसका कोई भी हिस्सा कभी भी गिर सकता है। त्रिपोलिया गेट की खराब हालत के मद्देनजर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने इस गेट के अंदर से करीब एक साल पहले वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध लगा दिया था। उसके बाद संरक्षण कार्य शुरू किया था, मगर कोरोना महामारी के चलते यह कार्य बीच में ही रुक गया है। जैसे ही दिल्ली में हालात काबू में आते हैं एएसआइ संरक्षण कार्य तेज करेगा।

दिल्ली में सर्दी ने तोड़ा 10 साल का रिकॉर्ड, रविवार को न्यूनतम तापमान 7 डिग्री सेल्सियस दर्ज

यहां पर बता दें कि ग्रैंड ट्रंक (जीटी) करनाल रोड पर स्थित दो त्रिपोलिया गेटों का निर्माण नाजीर महलदार खां ने कराया था। इनमें से एक गेट जो महाराणा प्रताप बाग के पास स्थित है। उसका जीर्णोंद्धार करीब दो वर्ष पहले हो चुका है। वहीं, गुड़ मंडी के पास वाला दूसरा गेट खतरनाक रूप से जर्जर हो चुका है। इसके बावजूद गेट के नीचे से वाहनों का निकलना जारी था, जिसे एक साल पहले बंद किया गया था।

पिछले कुछ वर्षों के दौरान यहां पर सड़क निर्माण की वजह से गेट की छत और फर्श की दूरी कम हुई है। इस वजह से बड़े वाहन गेट को लगातार क्षति पहुंचा रहे हैं। वर्तमान में इसकी हालत बहुत खराब है। एएसआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस गेट में बड़े स्तर पर संरक्षण कराए जाने की जरूरत है। इसे ध्यान में रखते हुए पिछले साल काम शुरू कराया गया था, दो आर्च में काम पूरा भी कराया गया, मगर काेरोना के चलते एक आर्च में काम रह गया है। इसके चलते इसके अंदर से यातायात बंद है।

65 प्रतिशत माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए नहीं हैं तैयार

क्या है इतिहास

दिल्ली करनाल रोड से सब्जी मंडी को जोड़ने वाली सड़क पर एक सराय थी, जो गुड़ की सराय कहलाती थी। इसे मुगल काल में बनवाया गया था। यह ज्यादातर ईटों से निर्मित है। इन द्वारों पर लिखे अभिलेख से पता चलता है कि इन्हें नाजिर महलदार खां द्वारा 1728-29 में बनवाया गया था। मुहम्मद शाह के कार्यकाल में वह वजीर था। त्रिपोलिया गेट दिल्ली के सात ऐतिहासिक द्वारों में से एक है। इससे सटे क्षतिग्रस्त स्मारक को सैनिकों व घोड़ों के विश्राम के लिए बनवाया गया था।

Exit mobile version