लखनऊ। उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के वित्त एवं लेखा विभाग की घोर लापरवाही के चलते बेसिक शिक्षा विभाग के परिषदीय विद्यालयों के हजारों शिक्षकों का वेतन फंस गया है। पूरे प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद से जुड़े विद्यालयों में काम कर रहे शिक्षक-शिक्षिकाओं का वेतन जारी हो गया है लेकिन जुलाई के 15 दिन बीत जाने के बाद भी गोंडा जिले के हजारों शिक्षकों का वेतन उनके खाते में नहीं पहुंच पाया है।
पैन कार्ड वैरिफिकेशन के बावजूद वेतन नहीं आया
बता दें कि पहले वित्त एवं लेखा विभाग ने जनपद के 643 शिक्षकों के पैन कार्ड में गड़बड़ी के नाम पर जांच की बात कहकर सूची शासन को भेज दी गई और वेतन रोक दिया। वहीं इस सूची पर बीएसए इंद्रजीत प्रजापति नें ऐतराज जताया और शासन को इसके विपरीत पत्र भेज दिया और उन्होंने महज 15 शिक्षक-शिक्षिकाओं के पैन कार्ड वेरीफिकेशन की बात की। बावजूद इसके पूरे सूबे में पैन कार्ड की जांच हो चुकी है और सबको वेतन भी मिल चुका है लेकिन गोंडा जनपद के 7686 परिषदीय गुरुजनों का वेतन अभी भी रुका हुआ है।
शिक्षकों का आरोप है कि वित्त एवं लेखाधिकारी बेसिक शिक्षा मंगलेश कुमार की लापरवाही से शिक्षकों के खाते में लगभग 36 करोड़ रुपया वेतन नहीं जा पाया है। वित्त एवं लेखाधिकारी पर आरोप यह भी है की वे कार्यालय नहीं आते और घर से ही बैठकर सारे आदेश निर्गत कर दिये जाते हैं। शिक्षक नेता अवधेश त्रिपाठी, मनोज सिंह, आनन्द मिश्रा, अशोक पांडेय, मनोज मिश्रा, निरंकार सिंह, जितेंद्र सिंह, राखराम गुप्ता समेत तमाम शिक्षकों ने न्यूज 18 से अपनी पीड़ा सुनाई और वेतन भुगतान को लेकर वित्त एवं लेखाधिकारी की मनमानी पर आक्रोश जताया।
3 हजार शिक्षामित्रों और 900 अनुदेशकों को भी 3 महीने से मानदेय नहीं
शिक्षक-शिक्षिकाओं का कहना है कि वेतन न मिलने से कोरोना महामारी के बीच लोगों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यही नहीं जिले के लगभग 3 हजार शिक्षामित्रों और लगभग 900 अनुदेशकों को भी 3 माह से मानदेय नहीं मिला है और लोग परेशान हैं। वहीं जब मंगलेश कुमार से इस संबंध में जानकारी लेने की कोशिश की गई तो उनका मोबाइल फोन बंद मिला। वहीं इस समस्या पर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है।