अहमदाबाद। 26 जुलाई 2008 को हुए सीरियल ब्लास्ट मामले (Ahmedabad blast case) में शुक्रवार को कोर्ट ने दोषियों को सजा सुनाई। इनमें यूपी (UP) के 8 दोषी हैं, जिन्हें कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। इन 8 दोषियों में 5 आजमगढ़ के रहने वाले हैं। जबकि एक-एक दोषी मेरठ, बिजनौर और बुलंदशहर का रहने वाला है। कोर्ट ने इस मामले में 49 दोषियों में से 38 को फांसी की सुना सुनाई है। जबकि 11 को उम्र कैद दी है। इसे भारत के इतिहास की सबसे बड़ी सजा है।
आजमगढ़ के बीनापार का रहने वाला अबू बशर इस हमले का मास्टर माइंड था। अबू बशर का अहमदाबाद ही नहीं लखनऊ, जयपुर और दिल्ली में हुए बम धमाकों में भी नाम आया था। इनके गैंग का नाम भी इंडियन मुजाहिद्दीन आजमगढ़ मॉड्यूल के नाम से चिन्हित किया गया था। इसके अलावा, कोर्ट ने यूपी के ही रहने वाले ब्लास्ट के दो आरोपियों को बरी कर दिया है। इनके नाम साकिब शेख और मोहम्मद हबीब है।
अबू बशर हमले का मास्टर माइंड था
आजमगढ़ के सरायमीर थाना क्षेत्र के बीनापार निवासी अबू बशर को हमले का मास्टर माइंड था। इसके साथ ही संजरपुर निवासी मोहम्मद आरिफ, बाज बहादुर निवासी मोहम्मद सैफ, कंधरापुर थाना क्षेत्र के शाहपुर निवासी शकीब निसार, बदरका चौकी का रहने वाला शैफुर रहमान ब्लास्ट में शामिल रहे।
इन 8 दोषियों को मिली फांसी
नाम पता
मुक्ति अबू बशर आजमगढ़
मोहम्मद आरिफ आजमगढ़
मोहम्मद सैफ आजमगढ़
जीशान अहमद आजमगढ़
शैफुर रहमान आजमगढ़
जियाउर रहमान मेरठ
मोहम्मद शकील बुलंदशहर
मोहम्मद तनबीर बिजनौर
बिजनौर के तनबीर को फांसी
बिजनौर के पठानपुरा का रहने वाला मोहम्मद तनवीर भी ब्लास्ट में दोषी पाया गया। कोर्ट ने उसे फांसी की सजा दी है। गांव के लोगों से जब तनवीर को लेकर बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने इस मामले पर कुछ नहीं बोला।
अहमदाबाद ब्लास्ट केस: 38 दोषियों को फांसी, 70 मिनट में हुए थे 21 धमाके
बुलंदशहर के शकील को फांसी
बुलंदशहर के लोहरका गांव के रहने वाला शकील भी दोषी पाया गया है। गांव के लोगों का कहना है कि उन्हें यकीन नहीं हुआ था कि कब ऐसा हो गया, उन्हें पता भी नहीं चला। गांव के लोग बताते हैं कि शकील गांव में ही कंचे खेला करता था। वो कब ग्रेनेड और बम से खेलने लगा, इसके बारे में शायद किसी को कुछ नहीं पता। ब्लास्ट में शकील का नाम सामने आने के बाद उसके घर वालों ने गांव छोड़ दिया था। आज उसका घर खंडहर बन गया है। परिवार के बेटे के बारे में जानकारी थी या नहीं ये तो वही लोग जानें। गांव वाले कहते हैं कि शकील का नाम ब्लास्ट केस में आने के बाद पूरे गांव की बदनामी हुई थी।
पटना बम ब्लास्ट केस में बड़ा फैसला, 9 दोषी करार, एक आरोपी रिहा
70 मिनट में हुए थे 21 धमाके
26 जुलाई 2008, यही वह दिन था जब 70 मिनट के दौरान 21 बम धमाकों ने अहमदाबाद की रूह को हिलाकर रख दिया। शहर भर में हुए इन धमाकों में कम से कम 56 लोगों की जान गई, जबकि 200 लोग घायल हुए थी। धमाकों की जांच-पड़ताल कई साल चली और करीब 80 आरोपियों पर मुकदमा चला। पुलिस ने अहमदाबाद में 20 प्राथमिकी दर्ज की थी, जबकि सूरत में 15 अन्य प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जहां विभिन्न स्थानों से भी जिंदा बम बरामद किए गए थे।
ग्रेनेड ब्लास्ट केस: पुलिस ने जारी की संदिग्धों की तस्वीरें, दो लाख इनाम की घोषणा
गोधरा कांड के जवाब में किए गए थे ब्लास्ट
ये ब्लास्ट आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (IM) और बैन किए गए स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से जुड़े लोगों ने किए थे। विस्फोट से कुछ मिनट पहले, टेलीविजन चैनलों और मीडिया को एक ई-मेल मिला था, जिसे कथित तौर पर ‘इंडियन मुजाहिदीन’ ने धमाकों की चेतावनी दी थी। पुलिस का मानना था कि IM के आतंकियों ने 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के जवाब में ये धमाके किए। इस मामले के एक अन्य आरोपी यासिन भटकल पर पुलिस नए सिरे से केस चलाने की तैयारी में है।