देश भर में कोरोना वाइरस की दूसरी लहर आ गई है। बुजुर्ग, युवा और बच्चे ही नहीं, 8 महीने के नवजात भी अब इसके चपेट में आ रहे हैं। इन बच्चों में तेज बुखार और निमोनिया जैसे गंभीर लक्षण देखे जा रहे हैं जिसकी वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है।
कोरोना की पहली लहर ना तो बच्चों के लिए खतरनाक थी और ना ही बच्चों में उसके गंभीर लक्षण पाए जा रहे हे थे. हालांकि इस बार हालात बदल चुके हैं। लोक नायक अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर सुरेश कुमार ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘फिलहाल हमारे अस्पताल में 8 ऐसे बच्चे भर्ती हैं जिनमें कोरोना के गंभीर लक्षण हैं। इनमें से एक बच्चा 8 महीने का है। जबकि बाकी बच्चों की उम्र 12 साल से कम है. इन सभी बच्चों को तेज बुखार, निमोनिया, डिहाइ़ड्रेशन और स्वाद की कमी जैसे लक्षण हैं।’
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सर गंगा राम अस्पताल में भी कोरोना से संक्रमित कुछ बच्चे एडमिट हैं। अस्पताल में वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर धीरेन गुप्ता का कहना है कि उन्हें कोरोना से संक्रमित बच्चों के परिवार से हर रोज 20-30 फोन आ रहे हैं और लोग वीडियो कंसल्टेशन के लिए संपर्क कर रहे हैं।
गुड़गांव के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में बाल रोग विभाग के निदेशक और प्रमुख डॉक्टर कृष्ण चुघ का कहना है कि वयस्कों की तुलना में कोरोना से संक्रमित बच्चों का इलाज में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना से संक्रमित बच्चों के लिए कोई अलग वॉर्ड भी नहीं है क्योंकि पिछले साल बच्चों के इतने मामले सामने नहीं आए थे जितने कि अब आ रहे हैं।’
डॉक्टर चुघ ने कहा, ‘बच्चों को रेमडेसिविर जैसी एंटी-वायरल दवाएं या स्टेरॉयड नहीं दिया जा सकता है। हम बुखार या कफ की दवाएं और जरूरत पड़ने पर रेस्पिरेटरी सपोर्ट देकर उनका इलाज करने की कोशिश कर रहे हैं। हरियाणा में, राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों में 15 मार्च और 11 अप्रैल के बीच पॉजिटिव पाए गए 41,324 लोगों में से 3,445 (8%) 10 साल से छोटे बच्चे थे।
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डॉक्टर्स का कहना है कि बच्चें में कोरोना के लक्षण दिखने से ये साफ पता चलता है कि वायरस का म्यूटेशन हो चुका है. कुछ गंभीर मामलों में बच्चों के मौत की भी खबर आ रही है।
डॉक्टर्स का कहना है कि Covid-19 गंभीर होने पर मल्टी-इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS) भी बच्चों में हो रहा है जिसकी वजह कुछ की मौत भी हुई है। मल्टी-इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम में बुखार के साथ दिल, फेफड़ों और दिमाग में गंभीर सूजन हो जाती है जिसकी वजह से कुछ बच्चों को दौरे भी पड़ रहे हैं। हालांकि बच्चों में इस तरह के गंभीर मामले अभी बहुत कम हैं और समय रहते इलाज करवा कर इनकी जान बचाई जा सकती है।
क्या हैं लक्षण- बुखार, सिर दर्द, कफ और कोल्ड जैसे कोरोना के आम लक्षणों के अलावा स्किन रैशेज, कोविड टोज, लाल आंखें, शरीर और जोड़ों का दर्द, मिचली, पेट में ऐंठन, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संबंधी दिक्कतें, फटे होंठ, थकान और सुस्ती जैसे लक्षणों को बिल्कुल नजरअंदाज ना करें। छोटे बच्चों और नवजात में स्किन के रंग का बदलना, बहुत ज्यादा बुखार, भूख ना लगना, उल्टी, मांसपेशियों में दर्द, होठों- त्वचा में सूजन और मुंह में छाले जैसे लक्षण हो सकते हैं।
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बरतें सावधानियां- बच्चों को भी मास्क पहनाएं. घर से बाहर खेलने ना भेजें। इसी तरह, स्विमिंग क्लासेज या शॉपिंग मॉल और किसी फंक्शन में भी बच्चों को ना ले जाएं। युवाओं को स्टेडियम या जिम जाने से फिलहाल बचना चाहिए। इन सारी जगहों पर कोरोना संक्रमण आसानी से फैलता है। घर में अगर किसी सदस्य को कोरोना संक्रमण हो गया है तो बच्चों को भी उनसे दूर रखें। नवजात या बच्चों में कोरोना से जुड़े लक्षण दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करें।