• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

पार्वती जी के लिए काशी आए थे शिव शंकर, जानें ये पौराणिक कथा

Writer D by Writer D
18/01/2021
in Main Slider, ख़ास खबर, धर्म, फैशन/शैली
0
shiv-parvati

shiv-parvati

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंगो में से 7वां ज्योतिर्लिंग काशी में विराजमान है। विश्वनाथ को सप्तम ज्योतिर्लिंग कहा गया है। मान्यता है कि काशी नगरी तीनों लोकों में सबसे न्यारी नगरी है। यहां पर शिवजी का त्रिशूल विराजित है।

विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के वाराणसी के काशी में स्थित है। इससे पहले हम आपको 6 ज्योतिर्लिंगों के बारे में बता चुके हैं और आज हम आपको इस 7वें यानी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे में बता रहे हैं। इस ज्योतिर्लिंग के पीछे भी एक पौराणिक कथा है जिसका वर्णन हम यहां कर रहे हैं।

इस तरह हुई विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना:

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शंकर ने पार्वती जी से विवाह किया और उसके बाद कैलाश पर्वत आकर रहने लगे। पार्वती जी विवाहित होने के बाद भी अपने पिता के घर रह रही थीं जो उन्हें बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था।

उन्होंने एक दिन भगवान शिव से कहा कि आप मुझे अपने घर ले चलिए। आपसे विवाह होने के बाद भी मुझे अपने पिता के घर ही रहना पड़ता है। यहां रहना मुझे अच्छा नहीं लगता है। सभी लड़कियां शादी के बाद अपने पति के घर जाती हैं लेकिन मुझे अपने पिता के घर ही रहना पड़ रहा है।

भगवान शिव ने माता पार्वती की बात को स्वीकारा और उन्हें अपने साथ अपनी पवित्र नगरी काशी ले आए। यहां आकर वो विश्वनाथ-ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए। कहते हैं कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से ही मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है।

अगर कोई भक्त प्रतिदिन उनके दर्शन करता है तो उसके योगक्षेम का समस्त भार भगवान शंकर अपने ऊपर ले लेते हैं। ऐसा भक्त शिव शंकर के इस धाम का अधिकारी बन जाता है। साथ ही शिव की कृपा उस पर हमेशा बनी रहती है।

मान्यता तो यह भी है कि भगवान विश्वनाथ स्वयं अपने परमभक्त को मरते समय तारक मंत्र सुनाते हैं।

Tags: 12 JyotirlingaKashi vishwanathLifestyle and Relationshiplord shivamukhye dharmik sthalShiv SymbolsShri Kashi Vishwanath Templeशिव शंकर- पार्वती
Previous Post

यूपी में 15 फरवरी को वैक्सीन की दूसरी डोज लगाई जाएगी : सहगल

Next Post

सपा के पिछड़ावाद में मुस्लिम जातियों की हैसियत मात्र वोटर की है : शाहनवाज आलम

Writer D

Writer D

Related Posts

CM Yogi dedicated the Gorakhpur Link Expressway to the public
Main Slider

पहचान के संकट से निकलकर आज आजमगढ़ बना अदम्य साहस का गढ़- सीएम योगी

20/06/2025
Ali Ahmed
Main Slider

माफिया अतीक का बेटा अली अहमद ‘फांसी घर’ में किया गया शिफ्ट, जानें पूरा मामला

20/06/2025
Cyber Security
Main Slider

Hackers का सबसे बड़ा अटैक, 16 अरब लोगों के Google और Apple पासवर्ड लीक

20/06/2025
Four died due to house wall collapse
Main Slider

बारिश में घर की दीवार गिरी, एक ही परिवार के चार सदस्यों की मलबे में दबकर मौत

20/06/2025
hair
फैशन/शैली

रूखे बालों को बनाइए सिल्की, ये उपाय करेंगे आपकी मदद

20/06/2025
Next Post
Shahnawaz Alam

सपा के पिछड़ावाद में मुस्लिम जातियों की हैसियत मात्र वोटर की है : शाहनवाज आलम

यह भी पढ़ें

Adi Shankaracharya

सीएम शिवराज ने किया आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण

21/09/2023
Poisonous Liquor

वोटिंग में फूटा जहरीली शराब का कहर, तीन लोगों की मौत

03/03/2022
Mother Dairy

अमूल के बाद इस कंपनी ने भी बढ़ाएं दूध के दाम

15/10/2022
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version