लाइफ़स्टाइल डेस्क। बहन और भाई के अनन्य प्रेम का त्यौहार है रक्षाबंधन। यूं तो प्यार के बंधन का और कोई बंधन या आड़ नहीं होती, जैसे चाहें इस त्यौहार को मनाएं। कोराना संकट के कारण भाई बाहर है या बहना दूर है तो परेशान न हों, वीडियो कॉल लगाएं और अपने आस पास किसी से भी शुभ मुहूर्त में बहन के नाम की राखी को बांधें। जहां मन से प्यार सच्चा होता है वहां किसी औपचारिकता की आवश्यक्ता नहीं होती।
पूजा पाठ में यकीन रखने वाले लोग अक्सर ये सवाल करते हैं कि क्या सिर्फ माथे पर तिलक लगा देना या फिर हाथ पर राखी बांध देना ही रक्षाबंधन है या फिर इसकी अलग से कोई विधिवत पूजा भी होती है। इस सवाल का जवाब अगर मन से तलाशेंगे तो यह है कि मन हो चंगा तो कठौती में गंगा। जैसा कर पाएं वो बेहतर है। लेकिन भारतीय पंचांग के हिसाब से चलने वाले कहते हैं कि भद्रा में राखी का पूजन नहीं होना चाहिए। हिन्दू मान्यता है कि हर त्यौहार की एक पूजन विधि है, उसे उसी तरीके से करना श्रेयस्कर बताया जाता है।
पंडितों के मुताबिक रक्षाबंधन पर सुबह जल्दी उठ जाना चाहिए। स्नान के बाद देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए। पितरों के लिए धूप-ध्यान करना बेहतर होता है। इन शुभ कामों के बाद पीले रेशमी वस्त्र में सरसों, केसर, चंदन, चावल, दूर्वा और अपने सामर्थ्य के अनुसार सोना या चांदी रख लें और धागा बांधकर रक्षासूत्र बना लें। इसके बाद घर के मंदिर में एक कलश की स्थापना करें। उस पर रक्षासूत्र को रखें, विधिवत पूजन करें। पूजा में हार-फूल चढ़ाएं। वस्त्र अर्पित करें, भोग लगाएं, दीपक जलाकर आरती करें। पूजन के बाद ये रक्षासूत्र को दाहिने हाथ की कलाई पर बंधवा लेना चाहिए।
राखी बंधवाते समय सर खाली नहीं होना चाहिए, यह भी कहा जाता है इसलिए भाई राखी बंधवाते समय सर पर कोई कपड़ा, रुमाल या फिर हाथ रखें तो बेहतर होता है। राखी बंधवाने के बाद बहने भाई को मिठाई खिलाती हैं और उनकी लम्बी उम्र की कामना करती हैं। भाई उपहार या शगुन देकर बहनों की जीवन भर रक्षा का वचन लेते हैं। गंगा जमुनी तहजीब वाले हमारे हिन्दुस्तान की खूबी है कि यहां सिर्फ हिन्दू ही नहीं, हर धर्म सम्प्रदाय के लोग राखी बांधते हैं।