धर्म डेस्क। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि है, इसलिए सूर्य षष्ठी व्रत के रूप में मनाया जाता है | इसे लोलार्क षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। षष्ठी देवी का पूजन किया जाता है। षष्ठी देवी संतान की रक्षा करती है और उसे दीर्घायु का आशीर्वाद देती है। ये पर्व भगवान सूर्यदेव की आराधना से संबंध रखता है। आज से 16 दिनों तक काशी के लोलार्क कुण्ड में स्नान करने का महत्व बताया गया है।
आज के दिन संतान की प्राप्ति के लिये या संतान की खुशी के लिये सूर्य भगवान के निमित्त व्रत किया जाता है, उनकी पूजा की जाती है और उनके मंत्रों का जाप किया जाता है।
अगर आप किसी कारणवश नदी में स्नान न कर पायें, तो घर पर ही स्नान के पानी में गंगा का जल मिला कर स्नान कर लीजिये | स्नान करके प्रणाम करते हुए चावल, तिल, दूर्वा, चंदन आदि मिले हुए जल से भगवान को अर्घ्य दीजिये। फिर शुद्ध घी का दीपक और कपूर, धूप, लाल पुष्प आदि से भगवान सूर्य का पूजन कीजिये। साथ ही सूर्यदेव के मंत्र का जाप कीजिये। सूर्यदेव का मंत्र है-
‘ऊँ घृणिः सूर्याय नमः’ |
ऐसा करने से आपको मनचाहे फलों की प्राप्ति होगी | इस प्रकार पूजा के बाद सामर्थ्य अनुसार ब्राह्मणों को कुछ दान स्वरूप दीजिये।