धर्म डेस्क। प्राचीन ज्योतिष शास्त्र में मुहूर्त (काल, समय) का विशेष महत्व माना गया है। मुहूर्त में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति की गणना के आधार पर किसी भी कार्य के लिए शुभ-अशुभ होने पर विचार किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र की मान्यता अनुसार, कुछ नक्षत्रों या ग्रह संयोग में शुभ कार्य करना बहुत ही अच्छा माना जाता है, वहीं कुछ नक्षत्रों में कोई विशेष कार्य करने की मनाही रहती है। इस बार पंचक 1 सिंतबर, मंगलवार से शुरू हो रहे हैं।
मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक कहलाता है। इन पांच दिनों में कोर्ट-कचहरी और विवाद आदि के फैसले अपने पक्ष में लाने के लिए प्रयास किये जा सकते हैं। इस पंचक में अग्नि का भय होता है। इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी कामों की शुरुआत करना अशुभ माना गया है। इनसे नुकसान होने की सम्भावना बनी रहती है।
कब से कब तक है पंचक
- 1 सिंतबर को सुबह 3 बजकर 48 से शुरू होकर 5 सितंबर का पूरा दिन पार करके देर रात 2 बजकर 21 मिनट तक रहेगा।
- किसी तरह का लेन-देन या व्यापारिक सौदे नहीं करने चाहिए।
- पूरे पंचक के दौरान घर की छत नहीं बनवानी चाहिए।
- लकड़ी आदि का कार्य भी नहीं करना चाहिए और ना ही घर बनाने के लिये लकड़ी इकट्ठी करनी चाहिए। ऐसा करने से धन की हानि हो सकती है।
- चारपाई या बेड नहीं लेना चाहिए और ना ही बनवाना चाहिए।
- अगर पहले से ही कोई काम चल रहा है तो उसे जारी रख सकते है।
- अगर किसी की शादी हुई है तो नई दुल्हन को घर न लाएं और न ही विदा करें।
अगर किसी की मृत्यु हो गई है तो उसके अंतिम संस्कार ठीक ढंग से न किया गया तो पंचक दोष लग सकते है। इसके बारें में विस्तार से गरुड़ पुराण में बताया गया है जिसके अनुसार अगर अंतिम संस्कार करना है तो किसी विद्वान पंडित से सलाह लेनी चाहिए और साथ में जब अंतिम संस्कार कर रहे हो तो शव के साथ आटे या कुश के बनाए हुए पांच पुतले बना कर अर्थी के साथ रखें। और इसके बाद शव की तरह ही इन पुतलों का भी अंतिम संस्कार विधि-विधान से करें।