• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

बच्चों की खिलखिलाहट पर भी सियासत

Desk by Desk
03/09/2020
in Main Slider, राजनीति, राष्ट्रीय, विचार
0
Narendra Modi on Toys
14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

सियाराम पांडेय ‘शांत’

मन की बात तो सभी करते हैं लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अंदाजे बयां ही कुछ और है। ‘मन की बात’ में  वे गागर में सागर भरते हैं। उसमें अनुभव और व्यवहार के मोती पिरोते हैं। वे स्व से ऊपर उठकर राष्ट्रहित की बात करते हैं। व्यष्टि की बात करना फिर भी आसान है लेकिन समष्टि की बात करना, उसके हितों की चिंता करना बेहद कठिन है। उनके कार्यक्रम में भारतीयता अपनी समग्रता में नजर आती है। आकाशवाणी पर किसी कार्यक्रम की 68 कड़ियों का प्रसारण जितनी बड़ी बात है, उससे भी बड़ी बात है उसकी लोकप्रियता के ग्रॉफ में निरंतर अभिवृद्धि और यह तभी संभव है, जब विचारों की कड़ी एक दूसरे से जुड़ी रहें। विचार-भाव और कर्म के बीच तालमेल बना रहे।

पिछली बार मन की बात में प्रधानमंत्री ने देशवासियों को कोरोना से बचने के लिए हमेशा मास्क पहनने की नसीहत दी थी। उलझन होने पर चिकित्सकों और चिकित्साकर्मियों की ओर देखने को कहा था लेकिन इस बार उन्होंने आत्मनिर्भर भारत की बात की है और उसमें बच्चों से लेकर वृद्धों तक के हितों का ध्यान रखा है। नरेंद्र मोदी अकारण कोई बात नहीं कहते। वे इस देश की परेशानी की वजह जानते हैं। वे यह भी जानते हैं कि अपनी परेशानियों की वजह भी हम खुद हैं। वे प्रतीकों में अपनी बात कहते हैं। देशवासियों को यह बताने-जताने का प्रयास करते हैं कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए?  इस बार उन्होंने खिलौनों की बात की है। सीधी बात चुभती है लेकिन अगर वह बात सलीके से कही जाती है तो समझ में भी आती है और उस पर अमल करने का भी मन होता है।

उन्होंने देशवासियों को यह भी बताने-जताने का प्रयास किया है कि विश्व में खिलौने का बाजार सात लाख करोड़ से अधिक का है, उसमें भारत का हिस्सा बहुत कम है। उन्होंने युवाओं को यह कहकर झकझोरा भी है कि युवाओं की इतनी बड़ी आबादी और भारत का इतना कम प्रतिनिधित्व अच्छा नहीं है। इससे पूर्व भारत के किसी भी प्रधानमंत्री या बड़े  नेता ने खिलौने पर चर्चा नहीं की।

भारतीय नेतृवर्ग खिलौनों पर वह एक फिल्मी गीत जरूर गाता रहा-‘ जितनी चाभी भरी राम ने उतना चले खिलौना,रोते-रोते हंसना सीखो,हंसते-हंसते रोना।’ लेकिन, नरेंद्र मोदी जिस खिलौने की बात करना चाह रहे हैं, उसके कर्ता भी वही हैं और उसकी चाभी भी उन्हीं के पास है। उन्होंने न केवल खिलौनों की समृद्ध भारतीय परंपरा की बात की है बल्कि भारतीय उद्यमियों का ध्यान भी इस ओर आकृष्ट किया है। स्टार्ट-अप एवं नए उद्यमियों से खिलौना उद्योग से बड़े पैमाने पर जुड़ने और स्थानीय खिलौनों के लिए आवाज बुलंद करने का आह्वान आत्मनिर्भर भारत को गति देने वाला है। उनके विचारों और संकेतों को समझने की जरूरत है।

सदियों की गुलामी ने भारतीय कुटीर उद्योगों का बेड़ा नर्क कर दिया है। इस दिशा में सोचने की जरूरत है। उन्होंने खिलौना उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर मेहनत  करने की पूरी देश से अपील की है।  सभी के लिए लोकल खिलौनों के लिए वोकल होने  की आवश्यकता जताई है और वह समय अभी है। उसमें आगा-पीछा सोचने का वक्त नहीं है, इस ओर इशारा करते हुए उन्होंने एक तरह से ‘ अब न चूक चौहान’ की रीति-नीति को झंडी दिखा दी है। उन्होंने सलाह दी है कि हमें ऐसे खिलौनों का निर्माण करना चाहिए जिससे कि बचपन खिले भी और खिलखिलाए भी।

खिलौने पर्यावरण के अनुकूल बनें, इस बात पर भी उन्होंने जोर दिया है। खिलौनों के जरिये अपने गौरवशाली अतीत को जीवन में  पुनश्च उतारने और अपने स्वर्णिम भविष्य को संवारने की उनकी नसीहत काबिले तारीफ है। इस तरह की राय अपनी धरती से दिली तौर पर जुड़ा व्यक्ति ही दे सकता है। उन्होंने कहा है कि आजकल हम अपने बच्चों को जो खिलौने देते हैं, वे उन्हें क्षणिक आनंद तो देते हैं लेकिन दूसरे का बड़ा और अत्याधुनिक खिलौना देखकर बच्चा सोच में पड़ जाता है। उसकी सहज मुस्कान लुप्त हो जाती है। वह प्रतिद्वंद्विता में पड़ जाता है।

उन्होंने युवा उद्यमियों से भारत में भी,भारत के भी गेम्स बनाने की अपील की है। चलो, खेल शुरू करते हैं, कहकर उन्होंने देश को युवाओं को खेल बाजार में खेलने की सलाह दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना हे कि आज भारतीय बच्चों को जो खिलौने दिये जा रहे हैं, उन खिलौनों ने  धन , सम्पत्ति  और  बड़प्पन का प्रदर्शन तो कर लिया लेकिन उस बच्चे की रचनात्मक भावना को बढ़ने और संवरने से रोक दिया। खिलौना तो आ गया, पर खेल ख़त्म हो गया और बच्चे का खिलना भी कहीं खो गया है । एक तरह से बाकी बच्चों से भेद का भाव उसके मन में बैठ गया। महंगे खिलौने में बनाने के लिये भी कुछ नहीं था, सीखने के लिये भी कुछ नहीं था। मतलब एक आकर्षक खिलौने ने एक उत्कृष्ट बच्चे को कहीं दबा दिया, छिपा दिया, मुरझा दिया।

‘मन की बात’ कार्यक्रम सुन रहे बच्चों के माता-पिता से क्षमा मांगते हुए उन्होंने कहा कि हो सकता है, उन्हें, अब, ये ‘मन की बात’ सुनने के बाद खिलौनों की नयी-नयी मांग सुनने का शायद एक नया काम सामने आ जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारे चिंतन का विषय था- खिलौने और विशेषकर भारतीय खिलौने। हमने इस बात पर मंथन किया कि भारत के बच्चों को नए-नए खिलौने कैसे मिलें, भारत, खिलौने बनाने का बहुत बड़ा हब कैसे बने? उन्होंने कहा कि कुटुकी ऐसा ऐप है जिसमें गानों और कहानियों के जरिए बात-बात में ही बच्चे गणित और विज्ञान में बहुत कुछ सीख सकते हैं। इसमें एक्टिविटी भी हैं, खेल भी हैं।

यह और बात है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को उनके खिलौने वाली बात पसंद नहीं आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मन की बात पर राहुल गांधी ने यह कहते हुए तंज कसा कि उन्होंने जेईई और नीट परीक्षा पर चर्चा करने की बजाय बच्चों के खिलौने पर चर्चा की। अब उन्हें कौन बताये कि कोरोना काल से बचना जितना जरूरी है, उतनी ही जरूरी छात्रों की परीक्षा भी है। खिलौना भी परीक्षा पास करने का उपादान है। इसे बचपना कहकर टाला नहीं जा सकता। जो देश बच्चों की चिंता नहीं करता,वह योग्य नागरिक पाने से वंचित रह जाता है। नरेंद्र मोदी ने इस समस्या पर गौर किया है। बच्चों की मुस्कान बनाए रखने की चिंता की है।

प्रधानमंत्री का ध्यान देश की हर समस्या है। देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विदेशी चीजों के प्रति आकर्षण कम करना होगा।  जो कम कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों को करना चाहिए था, वह अगर नरेंद्र मोदी कर रहे हैं तो इसमें बुरा क्या है? चीन से चंदा लेने वाला नेतृवर्ग भारतीय हितों की चिंता करे भी तो किस  तरह, चिंतनीय तो यह भी है। आजादी के दौर में विदेशी सामानों की होली जलाई गई थी लेकिन आजादी के बाद विदेशी सामान स्टेटस सिंबल बन गए । इसी का लाभ चीन जैसे देश उठा रहे हैं।

गणेश-लक्ष्मी तक, यहां तक कि झार—बत्ती तक चीन से मंगाया जा रहा है। प्रधानमंत्री अगर सुई से लेकर विमान तक अगर भारत में बनाने की बात कर रहे हैं, देश को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने की बात कर रहे हैं तो उनका उत्साह बढ़ाने की बजाय, बेवजह उसमें मीन-मेख निकालना किसी भी लिहाज से उचित नहीं है। दुनिया को ज्ञान देने वाला भारत अगर पाश्चात्य देशों का मुखापेक्षी है तो इतना तो सुस्पष्ट है कि आजादी के बाद जिस तरह के निर्णय लिए जाने चाहिए थे, वे लिए नहीं गए,  वरना आर्थिक धरातल पर, उद्योग के धरातल पर और समझ-बूझ के धरातल पर यह देश बहुत आगे होता।

Tags: hindi newsMade in Indiaman ki baatnarendra modiNarendra Modi on Toyspolitical newspoliticstoys of children
Previous Post

हरदोई ट्रिपल मर्डर : 48 बीघा जमीन के लिए हुई थी हत्या, तीन आरोपी गिरफ्तार

Next Post

हॉलीवुड अभिनेता ड्वेन जॉनसन और उनके पूरे परिवार ने कोरोना को दी मात

Desk

Desk

Related Posts

Sandalwood Face Pack
Main Slider

इसके इस्तेमाल से मिलेगी ग्लोइंग स्किन

22/10/2025
CM Yogi
Main Slider

राजनीतिक इस्लाम ने सनातन आस्था पर किया सबसे ज्यादा कुठाराघात: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

21/10/2025
deepika-dua-ranveer
Main Slider

‘कितनी क्यूट है…. दीपिका-रणवीर ने दिखाई बेटी दुआ की पहली झलक

21/10/2025
CM Vishnudev Sai
राजनीति

नक्सलवाद के विरुद्ध सुरक्षा बलों ने अद्वितीय साहस का परिचय दिया… CM साय ने शहीद जवानों को दी श्रद्धांजलि

21/10/2025
CM Yogi Adityanath's jibe at Akhilesh Yadav
Main Slider

कुछ लोगों का बचपना जीवनभर नहीं जाता… सीएम योगी का अखिलेश यादव पर तंज

21/10/2025
Next Post
Hollywood actor Dwayne Johnson

हॉलीवुड अभिनेता ड्वेन जॉनसन और उनके पूरे परिवार ने कोरोना को दी मात

यह भी पढ़ें

Power Grid

‘अनुकंपा के आधार’ पर मिलने वाली नौकरियों में हुआ बदलाव, अब इनको भी मिलेगी नियुक्ति

03/12/2022
World Urdu Day

विश्व उर्दू दिवस पर उर्दू अकादमी ने सजाई शायरों की महफ़िल

09/11/2021
industrial production

जर्मनी के औद्योगिक उत्पादन और चीन के निर्यात में दिखी तेजी

08/09/2020
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version