चंडीगढ़। इसे राजनीति का खेल ही कहेंगे कि व्यक्ति की हसरत पूरी होती है, लेकिन यह उसे इसका लाभ नहीं होता। ऐसी ही हालत मेें पंजाब के फायर ब्रिगेड नेता नवजाेत सिंह सिद्धू की है। भारतीय जनता पार्टी में रहते हुए नवजाेत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू शिअद-भाजपा गठबंधन को तोड़ने के लिए सक्रिय रहे और जाेर-शोर से इसकी मांग उठाते रहे।
उन्होंने भाजपा छोड़ने का यही मुख्य कारण बताया था। अब जबकि भाजपा-शिअद का गठजोड़ टूूट चुका है तो सिद्धू दंपती भाजपा से दूर हैं। ऐसे में फिर सिद्धू काे लेकर चर्चाएं शुरू हाेती दिख रही है। बड़ा सवाल है कि क्या इस घटनाक्रम का ‘गुरु’ सिद्धू को इसका कितना लाभ मिलेगा।
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शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी के बीच 24 साल पुराना गठबंधन टूटने के चौबीस घंटे बाद भी पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू शांत हैैं। लेकिन, राजनीतिक हलकों में इस बात को लेकर चर्चा है कि गठबंधन टूटने पर वह सबसे ज्यादा खुश होंगे। वहीं, सिद्धू के अगले कदम पर भी राजनीति की जानकारी रखने वालों की नजरें टिक गई हैैं। सवाल उठ रहा है कि क्या सिद्धू के भाजपा में एक बार फिर लौटने की कोई राह निकलेगी।
सिद्धू भाजपा में रहते हुए लगातार यही मांग उठाते रहे कि भाजपा, अकाली दल से अपना गठबंधन तोड़ दे। भाजपा ने अपने सबसे तेजतर्रार नेता को छोड़ दिया लेकिन शिरोमणि अकाली दल का साथ नहीं छोड़ा। सिद्धू पार्टी को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए और विधायक बनने के बाद मंत्री भी बन गए।
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अब जबकि शिरोमणि अकाली दल का भाजपा के साथ गठबंधन टूट गया है तो राजनीतिक हलकों में उनके फिर से भाजपा में जाने की चर्चाएं होने लगी हैं लेकिन जानकारों का मानना है कि यह इतना आसान नहीं है। दरअसल, पिछले तीन सालों में नवजोत सिंह सिद्धू ने जिस तरह से अपना पाकिस्तान प्रेम, इमरान खान प्रेम जताया है उससे भाजपा के नेता खासे नाराज हैं क्योंकि यह पार्टी की नीति में फिट नहीं बैठता।