लाइफ़स्टाइल डेस्क। ग्रहों की दुनिया भी बड़ा अजीब होती है, जिसे समझना बड़ा ही मुश्किल होता है। हालांकि आज विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि हमारे सौरमंडल में मौजूद सभी ग्रहों के बारे में कुछ न कुछ जानकारी हमारे पास जरूर है। आज हम मंगल ग्रह के बारे में बात करेंगे, जिसे लाल ग्रह के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह लाल दिखाई देता है।
वैसे तो मंगल भी पृथ्वी की तरह एक स्थलीय धरातल वाला ग्रह है, जहां ज्वालामुखी से लेकर घाटियां, रेगिस्तान और ध्रुवीय बर्फीली चोटियां हैं, लेकिन इस ग्रह पर इंसानों का रहना नामुमकिन है। आइए जानते हैं इस ग्रह के बारे में कुछ खास और रोचक बातें, जिनके बारे में शायद ही आप जानते होंगे।
पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमा 365 दिन और छह घंटे में पूरी करती है जबकि मंगल सूरज का पूरा चक्कर लगाने में 687 दिन लगाता है। यह धरती की तुलना लगभग दोगुना है। इसलिए मंगल ग्रह पर एक साल 687 दिनों का होता है।
मंगल ग्रह पर कंपकंपा देने वाली ठंड और धूल भरी आंधी का गुबार पृथ्वी के मुकाबले कहीं ज्यादा है। गर्मियों में तो यहां का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है, लेकिन जाड़े में यह शून्य से घटकर 140 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। इतनी ठंड में तो इंसान जमकर पत्थर का बन जाएगा।
मंगल ग्रह पर एक चीज ऐसी है जो धरती से बिल्कुल मिलती-जुलती है। धरती की तरह ही मंगल ग्रह पर भी साल में चार मौसम आते हैं- पतझड़, ग्रीष्म, शरद और शीत। हालांकि धरती की तुलना में मंगल पर हर मौसम लगभग दोगुना वक्त तक रहता है।
पृथ्वी और मंगल ग्रह पर गुरुत्वाकर्षण शक्ति अलग-अलग हैं। इस कारण धरती पर अगर किसी व्यक्ति का वजन 100 पाउंड होगा तो मंगल ग्रह पर जाकर उसका वजन 38 पाउंड हो जाएगा।
पृथ्वी के पास जहां एक ही चंद्रमा है, तो वहीं मंगल ग्रह के पास दो चांद हैं, जिनका नाम फोबोस और डेमियोस है। इसमें फोबोस का व्यास 13.8 मील है तो डेमियोस का व्यास 7.8 मील है।
मंगल ग्रह पर एक और चीज है जो पृथ्वी से मिलती-जुलती है। दरअसल, धरती और मंगल ग्रह दोनों ही चार परतों से बने हैं। पहली पर्पटी यानी क्रस्ट, जो लौह वाले बेसाल्टिक पत्थरों से बना है और दूसरा मैंटल जो सिलिकेट पत्थरों से बना है। वहीं, तीसरा और चौथा परत है बाहरी कोर और आंतरिक कोर, जिनके बारे में ऐसा माना जाता है कि ये धरती के कोर की तरह ही लोहे और निकल से बने हो सकते हैं।