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बिहार चुनाव : शिक्षा सबसे अहम होने के बाद भी नहीं बनती चुनावी मुद्दा : मैथमेटिक्स गुरु

Desk by Desk
17/10/2020
in Main Slider, ख़ास खबर, बिहार, राजनीति, राष्ट्रीय
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मैथमेटिक्स गुरु

मैथमेटिक्स गुरु

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मैथमेटिक्स गुरु फेम वर्ल्ड रेकॉर्डधारी आर के श्रीवास्तव के शैक्षणिक आंगन में ” शिक्षा क्यों नही बन पाती चुनावी मुद्दा” पर सेमिनार आयोजित कर आरके श्रीवास्तव ने स्टूडेंट्स सहित अविभावकों के सामने अपना वक्तव्य रखा।

सभी ने आरके श्रीवास्तव के द्वारा इस बिंदु पर दिए गए संबोधन का सराहना किया। प्रदेश के शिक्षा व्यवस्था को लेकर स्थानीय अविभावकों और छात्र- छात्राओ ने अपनी प्रतिक्रिया तो दी ही साथ ही वे इसके सामाधान के लिए रास्ते भी बताएं। युवाओं का कहना है कि जब तक अधिकारी, नेता व अमीर लोग जब तक अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में नहीं पढ़ाएंगे तब तक शिक्षा का समान स्तर नहीं सुधरने वाला।

साथ ही उन्होंने पर्याप्त शिक्षकों की भर्ती, शिक्षकों से दिगर कार्य नहीं लेने जैसे विषयों पर भी जमकर बोले। गौरतलब है कि शिक्षा सबसे अहम मुद्दा होने के बाद भी न तो यह लोकसभा का चुनाव और ना ही यह बिधानसभा किसी का यह चुनावी मुद्दा नहीं बन पाता। इसलिए आरके श्रीवास्तव ने जनहित में इस क्षेत्र में पहल करते हुए इसे प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाने का आग्रह किया तभी हमारा राष्ट्र विश्वगुरु बन पायेगा। शिक्षा जैसे बड़े मुद्दे को छोड़कर कभी कोई राष्ट्र विकसित नही बन पाएगा।इसके लिए वे युवाओं को मंच प्रदान करेंगे ताकि प्रदेश व स्थानीय क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था पर ध्यान दिया जा सके और इसमें क्रांतिकारी सुधार हों।

आने वाले पीढ़ी के लिए फोन से ज्यादा शिक्षक महत्वपूर्ण है। बेहतर शिक्षा के लिए सुयोग्य और कर्मठ शिक्षकों की भर्ती की जाए। आरके श्रीवास्तव ने बताया कि करीब प्रत्येक सरकारी प्रथमिक, माध्यमिक, उच्च विद्यालयों में हजारो शिक्षको की कमी है, जो कि छात्रों की भविष्य और शिक्षा के गिरते स्तर का असल कारण है। इसलिए सरकार को चाहिए कि वे पहले मुल अधिकार लोगों को प्रदान करें। इसके बाद ही लोगों को दूसरे सुविधा उपलब्ध कराएं।

मैथमेटिक्स गुरु ने बताया कि पैसे वालों और गरीबों के लिए अलग-अलग शिक्षा प्रणाली बेहद निराशाजनक है।
सरकार शिक्षा के क्षेत्र में तमाम योजनाएं लेकर आ रहीं है। बावजूद इसके निजी व सरकारी स्कूलों के बीच पढ़ाई के स्तर का गैप चौकाने वाला है। सरकारी स्कूल में जहां गरीबों के बच्चें जाते हैं। वहीं अमीरों, नेताओं व अधिकारियों के बच्चे निजी स्कूलों में जाते हैं। एेसे में पैसे वालों के लिए अलग और गरीबों के लिए अलग शिक्षा व्यवस्था नजर आती है। इस दीवार को जब तक नहीं गिराया जाएगा, तब तक शिक्षा का स्तर नहीं सुधर सकता।

सरकार के साथ समाज को भी लेनी होगी जिम्मेदारी

सरकार एक ओर लगातार स्कूल खुलवाकर ग्रामीण अंचलों तक शिक्षा को पहुंचाना चाह रही है। लेकिन आम लोगों को चाहिए कि वे भी बच्चों को स्कूल भेजें। समाज के लोगों की भी जिम्मेदारी है कि वे ऐसे लोगों को जागरूक करें और बच्चों को स्कूल तक भेजने के लिए निरंतर प्रयास करें। साथ ही सरकार को चाहिए कि शिक्षकों को दीगर में न लगाया जाए। वहीं युवा लोगों को भी फ्री समय में स्कूल जाकर बच्चों को पढ़ाना चाहिए।

आरके श्रीवास्तव ने बताया कि स्कूलें खुलने के साथ, शिक्षकों की भी हो भर्ती हो

सरकार स्कूलों के निर्माण में तो तेजी ला रही है, लेकिन शिक्षकों की भर्ती पर ध्यान नहीं दे रही है। बिना शिक्षक के स्कूल का क्या औचित्य। इसलिए शिक्षकों की भर्ती जरूरी है। इतना ही नहीं बदलते दौर में पढाऩे का पैटर्न भी बदल रहा है इसलिए जरूरी है कि शिक्षकों को भी समय समय पर आधुनिक तरीके से बच्चों को पढाऩे की ट्रेनिंग दी जाए। ताकि बच्चे नवीन पद्धति से शिक्षा ग्रहण कर सकें। और सफलता पा सकें।

आरके श्रीवास्तव ने बताया कि आज के आधुनिक समय मे रोजगार परख व्यवहारिक शिक्षा भी देना होगा

स्कूलों में सिर्फ सैद्धांतिक शिक्षा दी जा रही है। जरूरी है कि आज के दौर में व्यवहारिक शिक्षा भी दी जाए। साथ ही स्कूल स्तर पर ही छात्रों को रोजगार परख शिक्षा देने की भी जरूरत है। इसके लिए सरकार को प्रयास करना चाहिए। साथ ही कहा कि सरकार के प्रयास के साथ अभिभावकों को बच्चों की पढ़ाई को लेकर गंभीर होना पड़ेगा और उन्हें सहीं मार्गदर्शन देना होगा। ताकि बच्चे अपने भविष्य के प्रति सचेत रहें।

Tags: 24ghante online.comBihar Assembly ElectionBihar Assembly Election 2020Bihar electionNational newsमैथमेटिक्स गुरु
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