हिंदु धर्म में हर देवी -देवता के पूजन की एक विधि है, जो कि उन्हें प्रसन्न करने के लिए बनाई गई है। यह विधि देवी या देवता के स्वभाव, पसंद -नापसंद के आधार पर निर्मित की गई है। इसमें ईश्वर को प्रसन्न करने वाले सभी उपाय, चीजें शामिल होती हैं लेकिन कई जगहों पर ऐसी जनश्रुति भी है कि यदि पूजन के दौरान कुछ ऐसा कर दिया जो पूजे जाने वाले देवी या देवता को नापसंद हो तो वे भक्त से नाराज भी हो सकते हैं।
दिवाली (Diwali) पर होने वाले लक्ष्मी पूजन में भूलकर भी तुलसी का पत्ता न रखें। भोग भी इसके साथ न लगाएं। ऐसा करने से देवी लक्ष्मी अप्रसन्न हो सकती हैं। इसके पीछे कारण यह है कि विष्णु जी को तुलसी प्रिय हैं और उन्हीं के शालिग्राम स्वरुप से उनका विवाह भी हुआ है। इस नाते तुलसी देवी लक्ष्मी की सौतन हैं इसलिए तुलसी या तुलसी मंजरी लक्ष्मी जी को अर्पित नहीं की जाती है।
मां लक्ष्मी सुहागिन हैं इसलिए भूलकर भी उन्हें सफेद रंग के फूल न चढ़ाएं। देवी कमला को कमल के ही पुष्प अर्पित करें। मां लक्ष्मी की मूर्ति को सफेद रंग के कपड़े पर न रखें। साथ ही किसी सफेद या काले रंग के कपड़े का भी पूजन के दौरान इस्तेमाल न करें। मूर्ति रखने के लिए भी लाल रंग के कपड़े का इस्तेमाल करें क्योंकि ये सुहाग का प्रतीक है।
दिवाली (Diwali) पर लक्ष्मी पूजन तब तक सम्पूर्ण नहीं है जबतक विष्णु जी का पूजन न हो। देवी लक्ष्मी विष्णु जी की पत्नी हैं तो यदि आप विष्णु जी की आराधना करते हैं तो यह तो तय बात है कि देवी लक्ष्मी भी साथ ही आएंगी। कोशिश करें कि देवी लक्ष्मी और विष्णु जी का पूजन साथ ही करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होंगी और पूरे साल आपके घर में वैभव और खुशहाली रहेगी।