नई दिल्ली। डायबिटीज एक लाइलाज बीमारी है। यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। खासकर टाइप 2 डायबिटीज अत्यधिक खतरनाक है। इस स्थिति में मरीज के अग्नाशय से इंसुलिन हार्मोन निकलना पूरी तरह से बंद हो जाता है। इसके अतिरिक्त गर्भकालीन मधुमेह से भी सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ता है और शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचता है। इनमें किडनी भी शामिल हैं। एक शोध में खुलासा हुआ है कि गर्भकालीन मधुमेह से किडनी को नुकसान पहुंच सकता है।
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साथ ही जीएफआर का पूरा नाम “ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट” भी अधिक हो जाती है। जीएफआर से यह पता चलता है की एक मिनट में कितना रक्त ग्लोमेरुली (glomeruli) से गुजरता है। ग्लोमेरुली किडनी में रहता है जो रक्त से अपशिष्ट उत्पादों को दूर करने में सहायक होते हैं। यह शोध जर्नल डायबिटीज केयर में छपी है। इस शोध में 1214 महिलाओं को शामिल किया गया था, जिनमें गर्भकालीन मधुमेह से पीड़ित 601 महिलाएं और 603 डायबिटीज मुक्त महिलाओं को शामिल किया गया था।
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गर्भकालीन मधुमेह उन महिलाओं को होती है, जिनके रक्त में शर्करा स्तर उच्च पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त उन महिलाओं को भी गर्भकालीन मधुमेह का खतरा अधिक रहता है जो मधुमेह से पीड़ित हैं। गर्भकालीन मधुमेह के बहुत कम लक्षण दिखते हैं और इसका उपचार गर्भावस्था के दौरान किया जाता है। एक अन्य शोध के अनुसार, देश की कुल आबादी के 10 प्रतिशत महिलाएं गर्भकालीन मधुमेह से पीड़ित रहती हैं। इस बीमारी के मुख्य कारणों का पता नहीं चल पाया है।