नई दिल्ली| हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता संजय दत्त की मूवी तोरबाज हाल ही में रिलीज हुई है। इस फिल्म में वह भारतीय सेना के डॉक्टर की भूमिका में दिख रहे हैं। अपने परिजनों को एक आतंकी हमले में खोने के 5 साल बाद वह भारत वापसी करते हैं।
यहां वह एक रिफ्यूजी कैंप में कुछ बच्चों से मिलते हैं और फिर पूरी जिंदगी वह उन बच्चों को क्रिकेट के गुर सिखाते हैं और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने का प्रयास करते हैं। संजय दत्त की फिल्मों से ज्यादा अकसर उनकी निजी जिंदगी के बारे में चर्चाएं होती रही हैं। हालांकि यहां हम उस तथ्य के बारे में बात करने वाले हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को ही जानकारी है।
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संजय दत्त के पिता सुनील दत्त को उनकी मां नरगिस एलविस प्रेसली कहती थीं। अकसर दोनों प्रेसली जूनियर के दुनिया में आने के सपने देखते थे। वह दिन 29 जुलाई, 1959 को आया, जब नरगिस ने संजय दत्त को जन्म दिया। हालांकि दिलचस्प बात यह है कि संजय दत्त का नाम सुनील दत्त और नरगिस ने नहीं रखा था। उनका नाम क्राउडसोर्सिंग के जरिए रखा गया था। दरअसल उस दौर की मशहूर फिल्म और कल्चर मैगजीन ‘शमा’ के नवंबर 1959 के अंक में रीडर्स से दत्त फैमिली के बच्चे के लिए नाम सुझाने को कहा गया था।
इस पर सुनील दत्त और नरगिस के बच्चे के लिए सैकड़ों रीडर्स ने अपनी ओर से नाम सुझाए थे। इनमें से ही एक रीडर ने नाम सुझाया था, संजय कुमार। यह नाम सुनील दत्त और नरगिस को काफी पसंद आया था और फिर उनका नाम संजय दत्त रखा गया। यही नहीं संजय दत्त को पिता सुनील दत्त और मां नरगिस काफी लकी मानते थे।