गाजियाबाद। भैया जल्दी आ जाओ, मुझे बचा लो, श्मशान माट की छत गिर गई है। मैं अंदर दबा हुआ हूं…। 14 साल के किशोर अंश आर्य श्मशान घाट Brother, save me..I am buried in the crematorium के गलियारे की छत गिरने से मलबे में दब गया था। मलबे में दबे अंश ने वहीं से अपने चचेरे भाई को फोन किया और थोड़ी ही देर में उसके परिजन श्मशान घाट पहुंच गए। करीब 35 मिनट बाद अंश को बाहर निकाला जा सका। बदहवास अंश का उस समय का आडियो उसके भाई के फोन में अभी भी मौजूद है।
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बारिश का पानी छत से टपक रहा था। लोगों के गलियारे में इकट्ठा होने के तीन से चार मिनट बाद ही बादल के गरजने जैसी आवाज आई और छत हिलने लगी। कुछ लोग बाहर भागे और लेकिन बीच में खड़े होने की वजह से हम गलियारे से बाहर नहीं निकल पाए।
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बंदायू में तैनात यूपी पुलिस के दरोगा यशपाल आर्य का 14 साल का बेटा अंश आर्य भी बोते रविवार को पड़ोसी जयराम के अंतिम संस्कार में पहुंचा था। अंश ने बताया कि अंतिम संस्कार करने के बाद हम सभी लोग वापस घर लौटने वाले थे। जयराम के परिजन गलियारे के बाहर लगे हैंडपंप पर हाथ धो रहे थे। बाकी लोग गलियारे में इकट्ठा हो गए थे। हल्की-हल्की बारिश हो रही थी।
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जब तक हम बाहर निकल पाते, तब तक पूरी छत भरभराकर गिर गई और हम सब (करीब 50 लोग) लिंटर के नीचे दब गए। अंश बताता है कि मैं एक बाइक के पास गलियारे में खड़ा था। लिंटर का बोझ बाइक पर आ गया। मुझे थोड़ी जगह खाली मिल गई।