लखनऊ। राजधानी पुलिस द्वारा गिरधारी सिंह एनकाउण्टर की गढ़ी कहानी काफी हद तक कानपुर के दुर्दान्त अपराधी विकास दुबे से मेल खाती है। सोमवार तड़के हुए गिरधारी सिंह के एनकाउण्टर को लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं। पुलिस द्वारा गढ़ी गई कहानी गले से नीचे नहीं उतर रही है। एनकाउण्टर को लेकर तमाम पहलू ऐसे हैं, जो पुलिस को कठघरे में खड़ा कर रही है।
जानकारों की मानें तो गिरधारी सिंह की 16 फरवरी तक की विभूतिखण्ड पुलिस को रिमाण्ड मिली थी। पुलिस के पास तकरीबन 24 घण्टे से ज्यादा का समय था। इतना समय होने के बावजूद भी पुलिस टीम तड़के ढार्ई से तीन बजे के मध्य असलहा बरामद करने के लिए क्यों ले गई थी। अंधेरा होने के बावजूद भी पुलिस झाडिय़ों में असलहे की खोजबीन करने क्यों गई थी। पुलिस के पास सोमवार का समय था। वह दिन में गिरधारी को ले जाकर असलहे की खोजबीन कर सकती थी। इसके अलावा गिरधारी इतनी आसानी से इंस्पेक्टर की सर्विस रिवाल्वर कैसे छीन कर भाग निकला, जबकि उसके साथ गाडिय़ों में कई पुलिस कर्मी मौजूद थे।
जब गिरधारी ने इंस्पेक्टर पर हमला किया, तब अन्य पुलिस कर्मी क्या कर रहे थे। जब गिरधारी पुलिस अभिरक्षा से भाग निकला था, तो वह वहीं क्यों रूक गया। गिरधारी अंधेरे का फायदा उठाकर भाग सकता था। ऐसे तमाम सवाल हैं जो पुलिस द्वारा गढ़ी गई एनकाण्उटर की कहानी पर सवालिया निशान लगाती है। कुछ इसी तरह से कानपुर के विकरूकाण्ड के मु य आरोपी विकास दुबे के एनकाउण्टर की कहानी पुलिस ने गढ़ी थी।
विकास दुबे को कन्नौज से लाते वक्त पुलिस टीम द्वारा टोल प्लाजा पार करते ही दोनों तरफ का ट्रैफिक रोक दिया गया था। जिसके महज पौन घण्टे बाद सूचना प्रसारित हुई थी कि पुलिस की रिवाल्वर लेकर भाग रहे विकास दुबे को एनकाउण्टर में मार गिराया गया। विकास दुबे एनकाउण्टर को लेकर भी तमाम सवाल उठे थे। कानपुर पुलिस का कहना था कि मार्ग दुर्घटना में विकास दुबे जिस गाड़ी में सवार थी वह पलट गई थी। मौके का फायदा उठाते हुए विकास दुबे पुलिस की सर्विस रिवाल्वर लेकर भाग रहा था। उसे रूकने के लिए कहने पर विकास ने पुलिस पर फायर झोंक दिया था। पुलिस ने जवाबी फायरिंग कर विकास को मार गिराया था। इधर कानपुर पुलिस द्वारा गढ़ी कहानी पर भी सवालिया निशान लगा था।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में विकास के सीने में गोली लगी थी, जबकि भागते हुए अपराधी पर फायर करने पर उसकी पीठ पर गोली लगनी चाहिए। ऐसे तमाम पहलू थे जो विकास दुबे एनकाउण्टर पर पुलिस को कठघरे में खड़ा कर दिया था। जानकारों का कहना है कि विकास और गिरधारी सिंह एनकाउण्टर की कहानी काफी कुछ एक जैसी ही है।
गिरधारी के सीने और पैर में लगी गोली
थाना प्रभारी विभूतिखण्ड ने बताया कि पुलिस द्वारा की गई जवाबी फायरिंग में गिरधारी सिंह के दो गोलियां लगी हैं। एक गोली गिरधारी के सीने और दूसरी गोली उसके पैर में लगी है। सीने में गोली लगने की वजह से उसकी मौत हो गई है। पुलिस ने मृतक के परिजनों को सूचना देकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था।
उप निरीक्षक के दाहिने हांथ में लगी गोली
खुद को घिरा पाकर गिरधारी सिंह पुलिस टीम पर ताबडतोड फायर झोंक रहा था। इधर पुलिस टीम भी उस पर फायर कर रही थी। गिरधारी की तरफ से की जा फायरिंग में एक उप निरीक्षक भी उसकी गोली का शिकार हो गया। मौके पर मौजूद मठभेड़ के दौरान उप निरीक्षक अनिल सिंह को गोली लग गई। गोली उसके दाहिने हांथ को छूते हुए निकल गई। गोली लगने से उप निरीक्षक अनिल सिंह मामूली रूप से घायल हो गए। इसके पहले गिरधारी ने एसआई अ तर सईद उस्मानी की नाक पर सिर से वार कर दिया था। हमले में सईद उस्मानी खून से लथपथ हो गए थे। गिरधारी की मौत के बाद घायल पुलिस कर्मियों का भी इलाज कराया गया है।
गिरधारी के साथ दफन हो गए कर्ई राज
कु यात अपराधी गिरधारी सिंह की मौत के बाद कई राज दफन हो गए। पूर्व ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह हत्याकाण्ड के बाद कई सफेदपोशों के नाम उजागर होने थे, लेकिन उसकी मौत के बाद तमाम माननीयों पर आंच आने से बच गई। सूत्रों की माने तो अजीत सिंह हत्याकाण्ड में एक सफेदपोश का नाम सामने आ रहा था। जिसको लेकर प्रदेश की राजनीती में हलचल मची हुई थी।
पिता ने लगाया लखनऊ पुलिस पर हत्या का आरोप
पुलिस मुठभेड़ में मारे गए शार्प शूटर गिरधारी विश्वकर्मा उफऱ् डॉक्टर के पिता ने यूपी पुलिस पर अपने बेटे के हत्या का आरोप लगाया है। गिरधारी के भाई राकेश और संजय ने भी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाया है। पिता और भाइयों ने बताया कि उन्हें पहले से ही गिरधारी की हत्या की शंका थी। इसलिए उन्होंने बीती आठ फरवरी को वाराणसी के सीजीएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर उसकी जान की सुरक्षा की गुहार लगाई थी। वाराणसी के चोलापुर थाना के लखनपुर निवासी गिरधारी के भाई संजय विश्वकर्मा ने बताया कि उसने दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर अपने भाई की जान को पुलिस से खतरा बताया था। उसने अदालत से अनुरोध किया था कि गिरधारी को उत्तर प्रदेश में पेशी के दौरान दिल्ली पुलिस अपनी अभिरक्षा में लेकर आए। उत्तर प्रदेश पुलिस पर भरोसा नहीं था और जिस बात का डर था वैसा ही हुआ भी है।
यह था मामला
बीती छह जनवरी की रात विभूतिखंड क्षेत्र में कठौता चौराहे के पास मऊ जिले के गोहना के पूर्व ब्लॉक प्रमुख अजीत सिंह और उसके साथी मोहर सिंह पर शूटरों ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थीं। अजीत को 25 गोलियां मारी गई थीं। मामले में मोहर सिंह की तहरीर पर आजमगढ़ के कुंटू सिंह, अखंड सिंह, शूटर गिरधारी समेत छह लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस अब तक मामले में चार लोगों को गिर तार कर चुकी है। वहीं, मु य शूटर गिरधारी को दिल्ली पुलिस ने गिर तार किया था। इंस्पेक्टर विभूतिखंड चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने शूटर गिरधारी को सीजेएम कोर्ट में पेश किया था। उसके बाद वहां से उसे लखनऊ जिला जेल भेज दिया गया। उसे तीन दिन यानी 16 फरवरी तक रिमांड पर लिया गया था।