शास्त्रों में प्रदोष व्रत भगवान शिव की विशेष कृपा पाने का दिन है। प्रत्येक महीने में दो प्रदोष व्रत होते हैं, जो दिन के नामानुसार जाने जाते हैं। इस बार यह तिथि 9 अप्रैल को है। जो प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन पड़ता है उसे शुक्र प्रदोष कहते हैं। शुक्र प्रदोष व्रत से कोई भी कर्ज से मुक्ति पाने के साथ ही नौकरी में अपनी तरक्की के रास्ते खोल सकता है।
शुक्र प्रदोष व्रत का महत्व
शास्त्रों में प्रदोष व्रत भगवान शिव की विशेष कृपा पाने का दिन है, जो प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन पड़ता है उसे शुक्र प्रदोष कहते हैं। मान्यता है कि शुक्र प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा से सभी तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं। यह व्रत सभी मनोकामनाएं को पूर्ण करने वाला है।
शुक्र प्रदोष व्रत पूजन-विधि
>> इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
>> प्रदोष पूजा शाम के समय होती है।
>> पूरे दिन उपावस रखने के बाद सूर्यास्त से पहले स्नानादि कर श्वेत वस्त्र धारण करें।
>> पूजन स्थल को शुद्ध करने के बाद गाय के गोबर से लीपकर, मंडप तैयार करें।
>> इस मंडप में पांच रंगों का उपयोग करते हुए रंगोली बनाएं।
>> उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और भगवान शिव का पूजन करें।
>> भगवान शिव को बेल पत्र, पुष्प, धूप-दीप और भोग आदि चढाएं।
>> प्रदोष व्रत की आराधना करने के लिए कुशा के आसन का प्रयोग करें।
>> पूजा के दौरान भगवान शिव के मंत्र ‘ऊँ नम: शिवाय’ का जाप करते रहे।
>> अंत में प्रदोष व्रत कथा सुनकर शिव जी की आरती उतारें।