पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। इस बार उन्होंने विद्युत (संशोधन) विधेयक- 2020 को केंद्र सरकार द्वारा फिर संसद में लाने के प्रयास का विरोध किया है। उन्होंने इस पर अपनी दोबारा आपत्ति जताते हुए कहा कि यह विधेयक जन विरोधी है।
पत्र में ममता बनर्जी ने पीएम मोदी से आग्रह किया है कि वे इस विधेयक पर आगे कार्रवाई से बचें। इस मामले में व्यापक व पारदर्शी तरीके से बातचीत जल्द से जल्द शुरू की जाना चाहिए। टीएमसी प्रमुख ने कहा कि मैंने यह पत्र इस विधेयक को केंद्र सरकार द्वारा फिर संसद में पेश किए जाने के प्रयास के खिलाफ पुन: अपना विरोध दर्ज कराने के लिए लिखा है। विधेयक की खूब आलोचना हो रही है। पिछले साल भी सरकार ने इसे संसद में पेश करने का प्रयास किया था, लेकिन हम में से अनेक लोगों ने विधेयक के प्रारूप का विरोध करते हुए इसके जनविरोधी पहलुओं को उजागर किया था।
ममता बनर्जी ने पत्र में लिखा है कि पूर्व में 12 जून 2020 को मैंने पत्र लिखकर इस विधेयक के मुख्य नुकसानों से आपको अवगत कराया था। गत वर्ष लिखे पत्र में ममता ने विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को देश के संघीय ढांचे को तबाह करने का प्रयास बताया था। ममता ने पत्र में दावा किया था कि इस विधेयक का उद्देश्य राज्यों के समूचे बिजली ग्रिड को राष्ट्रीय ग्रिड का पिछलग्गू बनाना है। ताजा पत्र में ममता ने लिखा है कि मैं यह सुनकर हैरान रह गई हूं कि यह विधेयक हमारी आपत्तियों पर विचार किए गए बगैर फिर से लाया जा रहा है और इसमें कुछ और जनविरोधी प्रावधान शामिल किए गए हैं।
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विद्युत संशोधन विधेयक का किसानों द्वारा भी विरोध किया जा रहा है। शुक्रवार को दिल्ली में जारी किसान आंदोलन के तहत चल रही किसान संसद में इस विधेयक के विरोध में प्रस्ताव पारित किया गया। सरकार से विद्युत संशोधन विधेयक तत्काल वापस लेने की मांग की गई। किसान नेताओं का कहना है कि बिजली पर सभी वर्ग का मूल अधिकार है। सस्ती, पर्याप्त और उच्च गुणवत्ता बिजली की आपूर्ति, कृषि आजीविका के लिए किसानों के लिए जरूरी बताया गया। इससे डेयरी, आटा-चक्की सहित छोटे उद्यम भी वाणिज्यिक शुल्क के दायरे में होंगे।
किसानों ने इस संशोधन से निजी बिजली कंपनियों का मुनाफा बढ़ेगा। बुनियादी सेवा के निजीकरण का किसानों के साथ साथ उपभोक्ताओं को भी महंगाई से जूझना पड़ेगा। विधेयक से किसानों और उपभोक्ताओं क्रॉस-सब्सिडी का लाभ मिलने में भी दिक्कतें बढ़ सकती हैं। योजनाएं, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) होंगी, जिससे किसानों के लिए प्री पेड मीटर का प्रावधान होगा और सब्सिडी पूर्ण तौर पर समाप्त की जा सकती है।