तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में कब्जा करने के साथ ही पूरे देश में अपना राज जमा लिया। अब उसकी नजर पंजशीर घाटी की तरफ है।
पंजशीर प्रांत के ट्विटर अकाउंट से यह जानकारी दी गई है कि तालिबान पंजशीर घाटी पर हमला करने और कब्जा करने के इरादे से आगे बढ़ गया है। अफगानिस्ता में अभी पंजशीर घाटी ही एक मात्र वह स्थान है जो तालिबान के कब्जे में नहीं है और यहीं से तालिबानी लड़ाकों को चुनौती भी मिल रही है।
पंजशीर के कमांडो के एक जवान ने कहा कि तालिबान अगर पंजशीर घाटी की तरफ आता है और हमला करता है तो इसका करारा जवाब दिया जाएगा। हम तालिबानी लड़ाकों से लड़ने के लिए तैयार है। बता दें कि काबुल के उत्तर में बसी पंजशीर घाटी तालिबानी ताकतों का सबसे बड़ा विरोधी गढ़ है। खुद तालिबान इसे लेकर काफी चिंतित है। सोवियत यूनियन से लड़ने वाले अहमद शाह मसूद ने इस घाटी को सबसे पहले अपना गढ़ बनाया था।
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तालिबान के राजनीतिक नेतृत्व के एक वरिष्ठ सदस्य ने रूस से कहा है कि वह ‘पंजशीर वैली’ में लड़ाकों से कहे कि वहां स्थिति सामान्य करने के वास्ते तालिबान को एक राजनीतिक समझौते की उम्मीद है। अफगानिस्तान में रूस के राजदूत दिमित्री झिरनोव ने शनिवार को यह जानकारी दी।
झिरनोव ने कहा कि तालिबान ने दावा किया है कि वह उक्त क्षेत्र में खून खराबा नहीं चाहता। राजधानी काबुल के उत्तर में स्थित पंजशीर वैली ‘नॉर्दर्न अलायंस’ के कब्जे में है और केवल यही क्षेत्र तालिबान से मुक्त है। ‘नॉर्दर्न अलायंस’ ने वर्ष 2001 में अमेरिकी सेनाओं के साथ मिलकर तालिबान के विरुद्ध युद्ध लड़ा था।
सूत्रों की मानें तो अगर तालिबान पंजशीर की घाटी पर हमला करता है और कब्जा करने की कोशिश करता है तो यहां हजारों की संख्या में मौजूद विरोधी दल इसका कड़ा जवाब दे सकते हैं। बता दें कि पंजशीर घाटी काबुल से महज 125 किमी की दूरी पर स्थित है।
इस घाटी का नाम पांच शेरों के नाम को मिलाकर बनाया गया है। दो दशक पहले भी तालिबान ने इस घाटी पर कब्जा करने की कोशिश की थी लेकिन वह इसमें नाकाम रहा था। लेकिन हर कोई जानता है कि तब हालात दूसरे थे तालिबान पहले से ज्यादा मजबूत हो चुका है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या एक बार फिर से पंजशीर के जांबाज अपने आप को तालिबान के कब्जे से बचा पाते हैं या नहीं। कहा जा रहा है कि अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति ने पंजशीर में शरण ली हुई है।