भारत अपनी गंगा-जमुनी-तहजीब के लिए पहचाना जाता है। मां विंध्यवासिनी मंदिर विदेशी श्रद्धालुओं का प्रिय है। यह हम नहीं कह रहे हैं, इस बात का प्रमाण दानपेटी से निकले विदेशी मुद्रा है। सभी धर्मों के लोग यहां मिल-जुलकर रहते हैं। समय-समय पर लोगों ने धर्म और पंथ को एक ओर रखकर मानवता के कार्य कर मिसाल पेश की है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट विंध्य कारिडोर विश्व पटल पर सुर्खियां बटोर रहा है। विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी धाम मुस्लिम देशों में बसे लोगों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना है। विंध्यवासिनी मंदिर के दानपात्रों को खोले जाने पर इसकी पुष्टि हुई। दानपात्रों के रुपयों की गिनती में बांग्लादेश, कुवैत, सऊदी अरब, ओमान, कतर, दुबई, वाशिंगटन और नेपाल की मुद्रा पहली बार प्राप्त हुई। विंध्यवासिनी मंदिर पर चढ़ावा के लिए छह दानपात्र लगाए गए हैं।
वहीं अष्टभुजा व कालीखोह मंदिर पर एक-एक दानपात्र है। विंध्याचल स्थित प्रशासनिक भवन पर नौ व 10 सितंबर दो दिनों तक इन दानपात्रों के रुपयों की गिनती की गई। दानपात्रों के रुपयों की गिनती राजस्व विभाग की टीम की निगरानी में की गई थी। आठ दानपात्रों से कुल 31 लाख 96 हजार 492 रुपये निकला था।
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इसमें नेपाल 3785, डालर वाशिंगटन (U.S.) 175, मलेशिया छह, बांग्लादेश 205, रूसी मस्कोवा 100, कुवैत 2 1/4 दिनार, सऊदी अरब का 65 रियाल, ओमान 300 1/2 रियाल, कतर छह रियाल, दुबई 10 दिरहम भी निकला। इसके अलावा सौ अज्ञात मुद्रा भी मिले।
दानपात्र से 47 हजार 500 भारतीय पुरानी करेंसी भी मिली। इसमें एक हजार के 14 व 500 के 67 नोट थे। सदर तहसीलदार सुनील कुमार भास्कर ने बताया कि पहली बार मंदिर के दानपात्रों से विदेशी मुद्रा मिली है। गिनती के बाद सभी रुपयों को विंध्य विकास परिषद के अध्यक्ष जिलाधिकारी के भारतीय स्टेट बैंक विंध्याचल के खाते में जमा कराया गया है।