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पितरों की मुक्ति के लिए करें तर्पण, जपें ये मंत्र

Desk by Desk
18/09/2021
in Main Slider, ख़ास खबर, धर्म, फैशन/शैली
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हमारे जो परिजन अपनी देह का त्याग कर के इस दुनिया विदा हो जाते हैं। उनकी आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में तर्पण-श्राद्ध  किया जाता है। श्राद्ध का मतलब होता है श्रद्धा पूर्वक।

मान्यता है कि पितृ पक्ष के दिनों में यमराज आत्मा को मुक्त देते हैं। जिससे वे अपने परिजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें। शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष दूर होता है. ज्योतिष शास्त्र में पितृ दोष को अशुभ फल देने वाला माना गया है।

अतः श्राद्ध में पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष से आने वाली परेशानियां दूर होती हैं और पितरों का आशीर्वाद मिलता है. इस वर्ष पितृ पक्ष 20 सितंबर 2021 से शुरू हो रहे हैं और इनका समापन 6 अक्टूबर 2021 को होगा लेकिन 26 सितम्बर को पितृ पक्ष की कोई तिथि नहीं है।

पितरों को जल देने की विधि को तर्पण कहा जाता है। परिजनों की श्राद्ध तिथि पर तर्पण करते समय पितरों की मुक्ति के लिए मंत्र जपे जाने की परम्परा भी है। हम यहां आपको कुछ मंत्र बता रहे हैं, जिनको आप अपने पितरों की मुक्ति के लिए तर्पण करते समय जप सकते हैं।

इसके लिए सबसे पहले हाथों में कुश लेकर दोनों हाथों को जोड़कर पितरों का ध्यान करें और उनको इस मंत्र के माध्यम से आमंत्रित करें। ‘ओम आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम’ इस मंत्र का अर्थ है, हे पितरों, आइये और जलांजलि ग्रहण कीजिये।

पिता जी के तर्पण में जल देने का मंत्र

तर्पण के समय गंगा जल या अन्य जल में दूध, तिल और जौ मिलाकर तीन बार पिता को जलांजलि दें. जल देते समय ध्यान करें कि वसु रूप में मेरे पिता जल ग्रहण करके तृप्त हों. फिर अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें, गोत्रे अस्मतपिता (पिता जी का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।

दादा जी के तर्पण में जल देने का मंत्र

जल देते समय अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें, गोत्रे अस्मत्पितामह (दादा जी का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः,  तस्मै स्वधा नमः।

माता के तर्पण में जल देने का मंत्र

(गोत्र का नाम) गोत्रे अस्मन्माता (माता का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।

दादी के तर्पण में जल देने का मंत्र

(गोत्र का नाम लें) गोत्रे पितामां (दादी का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः,तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।

अगर आप किसी कारणवश ऊपर दिए मंत्रों का उच्चारण नहीं कर सकते हैं तो आप अपने पितरों की मुक्ति के लिए पितृ गायत्री पाठ भी पढ़ सकते हैं। इसके साथ ही पितृ गायत्री मंत्र पढ़ने से भी पितरों को मुक्ति मिलती है और वे हमें आशीर्वाद देते हैं।

पितृ गायत्री मंत्र

ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।

ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।

ओम् देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।

Tags: pitru pakshaPitru Paksha 2021Pitru Paksha Shradhshradh
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