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नवरात्रि: कन्या पूजन करते समय इन बातों का रखें विशेष ध्यान

Writer D by Writer D
12/10/2021
in Main Slider, ख़ास खबर, धर्म, फैशन/शैली
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kanya pujan

kanya pujan

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नवरात्रि में पूरे नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है. अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन भी किया जाता है जिसका बड़ा महत्व बताया गया है. इस दिन 10 साल से कम उम्र की कन्याओं को देवी मानकर उनकी पूजा की जाती है. नौ देवियों के प्रतिबिंब के रूप में कन्या पूजन के बाद ही भक्तों के नवरात्र व्रत संपन्न माने जाते हैं. आइए आपको अष्टमी-नवमी तिथि के कन्या पूजन की संपूर्ण विधि और नियमों के बारे में बताते हैं.

अष्टमी तिथि 12 अक्टूबर रात 9 बजकर 47 मिनट से 13 अक्टूबर रात्रि 8 बजकर 6 मिनट तक रहेगी. जबकि नवमी तिथि 13 अक्टूबर रात 8 बजकर 7 मिनट से लेकर 14 अक्टूबर शाम 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगी.

कन्या पूजन की विधि

अष्टमी या नवमी तिथि के लिए कन्‍या भोज या पूजन के लिए कन्‍याओं को एक दिन पहले आमंत्रित किया जाता है. गृह प्रवेश पर कन्याओं का पूरे परिवार के साथ पुष्प वर्षा से स्वागत करें और नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाएं. इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठाकर सभी के पैरों को दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से धोएं. इसके बाद पैर छूकर आशीष लें.

इसके बाद माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम लगाएं. फिर मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं. भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्‍य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और उनके पैर छूकर आशीष लें. आप नौ कन्याओं के बीच किसी बालक को कालभैरव के रूप में भी बिठा सकते हैं.

कन्या पूजन के नियम

नवरात्र में सभी तिथियों को एक-एक और अष्टमी या नवमी को नौ कन्याओं की पूजा होती है. दो वर्ष की कन्या (कुमारी) के पूजन से दुख और दरिद्रता मां दूर करती हैं. तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति रूप में मानी जाती है. त्रिमूर्ति कन्या के पूजन से धन-धान्‍य आता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है.

चार वर्ष की कन्या को कल्याणी माना जाता है. इसकी पूजा से परिवार का कल्याण होता है. जबकि पांच वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती है. रोहिणी को पूजने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है. छह वर्ष की कन्या को कालिका रूप कहा गया है. कालिका रूप से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है. सात वर्ष की कन्या का रूप चंडिका का है. चंडिका रूप का पूजन करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.

आठ वर्ष की कन्या शाम्‍भवी कहलाती है. इनका पूजन करने से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है. नौ वर्ष की कन्या दुर्गा कहलाती है. इसका पूजन करने से शत्रुओं का नाश होता है तथा असाध्य कार्यपूर्ण होते हैं. दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है. सुभद्रा अपने भक्तों के सारे मनोरथ पूर्ण करती है.

Tags: kanya pujannavratrinavratri 2021Navratri muhurtNavratri News
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