पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अक्सर ‘हेड इंजरी’ शब्द का जिक्र होते करीब-करीब सभी लोग देखते सुनते आ रहे हैं। यह एक शब्द न सिर्फ आरोपी को हत्यारा साबित करने के लिए काफी है, बल्कि उस बेगुनाह को जेल की सींकचों में सड़ने को विवश करने वाला भी है। पर, अब ऐसा नहीं होगा।
वजह, गोरखपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. विपिन ताडा की 46 केसों के आलोक में शासन को भेजी गई तथ्यपरक रिपोर्ट ने सबकुछ साफ कर दिया है और शासन ने उस पर मुहर भी लगा दी है। पोस्टमार्टम कराने वाले चिकित्सकों और पंचनामा करने वाले पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित करने पर सहमति बनी है।
दरअसल, पूर्व एसएसपी जोगेन्द्र कुमार ने ”हेड इंजरी” शब्द पर सबसे पहले आपत्ति दर्ज कराई थी, लेकिन तब इसका कोई हल नहीं निकला। फिर एसएसपी डॉ. विपिन ताडा ने तथ्यों के साथ इस मामले में अपनी आपत्ति दर्ज कराई। पूरे एक साल के इस तरह के पीएम रिपोर्ट को निकलवाया।
जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ‘हेड इंजरी’ लिखने से बदल गया मामले का ‘नेचर’
46 मामलों के पीएम रिपोर्ट निकले गए, जिसमें ”हेड इंजरी” को लेकर सवाल उठ रहे थे। फिर, एसएसपी ने पूर्व सीएमओ को पत्र लिखकर इस मामले से अवगत कराया। इस वजह से पुलिस को विवेचना में होने वाली दिक्कतें भी बताईं। बताया कि इसकी वजह से कैसे बेगुनाह भी आरोपों के घेरे में आ जा रहा हैं।
एसएसपी के पत्राचार पर शासन ने संज्ञान लिया है। सरकारी डॉक्टरों को पोस्टमार्टम के तौर-तरीके पर प्रशिक्षण देने पर सहमति बनी है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक जल्द ही इस मामले में डॉक्टरों का एक प्रशिक्षण कराया जाएगा। यही नहीं, उनकी तरफ से आने वाली दिक्कतों के बाद पंचनामा करने वाले पुलिसकर्मियों का भी प्रशिक्षण कराया जा सकता है।