उदयपुर। राजस्थान को बालश्रम एवं बच्चों के प्रति होने वाली हिंसा से मुक्त करने के लिए सरकारी प्रयासों के साथ स्वयंसेवी संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं में समन्वय के साथ हम बालमित्र राजस्थान का सपना साकार कर सकते हैं।
यह विचार राजस्थान बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य एवं राजस्थान बालश्रम प्रकोष्ठ प्रभारी डॉ. शैलेन्द्र पण्ड्या ने शुक्रवार को जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय में आयोजित जिला बाल संरक्षण इकाई की बैठक के दौरान कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन, नई दिल्ली द्वारा निर्मित प्रचार सामग्री का विमोचन करने के पश्चात मुख्य अतिथि के रूप मे सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। डॉ. पण्ड्या ने कहा कि नोबल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी के फाउंडेशन द्वारा उदयपुर में नवाचार किया गया है जो बेहद उपयोगी साबित होगा।
इस अवसर पर बैठक की अध्यक्षता कर रहे जिला कलेक्टर ताराचन्द मीणा ने स्वयंसेवी संस्थाओं को आगे आकर बालश्रमिकों के पुनर्वास पर सहयोग करने का आह्नवान किया।
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इस अवसर कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के प्रतिनिधि राजदीप सिंह चुण्डावत ने बताया कि फाउंडेशन द्वारा उदयपुर जिले में प्रथम चरण में किन्हीं दो पुलिस थानों को जिला प्रशासन की अनुमति के साथ बालमित्र बनाया जाएगा, साथ ही शहर को बालश्रम मुक्त करने के लिए अभियान चलाया जाएगा।
बैठक में बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष धु्रव कुमार कविया, सदस्यगण, सहायक निदेशक बाल अधिकारिता मीना शर्मा सहित विभिन्न विभागों के प्रतिनिधि एवं स्वयंसेवी संस्थाओ के प्रतिनिधि उपस्थित थे।