वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) में सर्वे के दौरान वजूखाने (Vazukhana) में शिवलिंग मिलने के हिंदू पक्ष के कथित दावे को लेकर दोनों पक्ष कोर्ट के सामने अपनी-अपनी दलील दे रहे हैं। वहीं इन सबके बीच अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी ने ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) में लोगों से कम संख्या में नमाज (Jume Ki Namaz) पढ़ने की अपील की है। इतना ही नहीं कमेटी ने यह भी निर्देश दिया है कि जिन लोगों को ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) में नमाज पढ़ना है, वो घर से ही वजू (Vazu) करके आएं। वहीं शिवलिंग से जुड़ी याचिका पर कोर्ट ने 30 मई को सुनवाई की तारीख तय की है।
जुमे की नमाज को लेकर एडवाइजरी जारी
वहीं अब ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) की देखभाल करने वाली अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी ने जुमे की नमाज को लेकर एडवाइजरी जारी की है। जिसमें कमेटी ने अपील किया है कि कम संख्या में लोग ज्ञानवापी में नमाज पढ़ें। साथ ही यह भी कहा कि अगर नमाज पढ़ना भी है तो वे वजू घर से ही करके आएं।
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कमेटी की तरफ से जारी पत्र में लिखा है कि ‘इस मसले के हल के लिये हर मुमकिन कोशिश जारी है। अल्लाह करे जल्द ही इस परेशानी का हल निकल आए। वजू खाना और इस्तिनजा खाना ‘शौचालय’ सील हो जाने से नमाजे पंजगाना में वजू और इस्तिनजा ‘शौचालय’ की दिक्कत पेश आ रही है। जुमा में नमाजियों की तादाद ज्यादा रहती है इसलिये ये दिक्कत ज्यादा पेश आएगी।’
हिंदू पक्ष का दावा- वजूखाने में शिवलिंग
दरअसल वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में 16 मई को एडवोकेट कमिश्नर के सर्वे पूरा होने के बाद हिंदू पक्ष ने दावा किया कि वजूखाने में शिवलिंग मिला है। जिसके बाद कोर्ट ने त्तकाल उस जगह को सील करने और पुलिस और सीआरपीएफ को अपनी सुरक्षा में लेेने का आदेश दिया। शिवलिंग को लेकर गुरूवार को वाराणसी जिला कोर्ट में करीब दो घंटे सुनवाई हुई। मुस्लिम पक्ष और हिंदू पक्ष की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि अब आगे की सुनवाई 30 मई को होगी।
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शिवलिंग का अस्तित्व केवल कथित: मुस्लिम पक्ष
इस दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ़ से अभय यादव ने हिंदू पक्ष की दलील को गलत बताया। कोर्ट के अंदर प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट पर चर्चा के दौरान मुस्लिम पक्ष ने 1991 के इस अधिनियम के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की पिछली सुनवाईयों का हवाला दिया। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि शिवलिंग का अस्तित्व केवल कथित है, यह अभी तक सिद्ध नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि अफवाहों के चलते सार्वजनिक अशांति होती है, जिसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि अन्य किसी को भी मस्जिद पर दावा करने का कोई अधिकार नहीं है।