वाराणसी। काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी (Gyanvapi) में पूजा का अधिकार मांगने वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। सिविल जज (सीनियर डिवीजन) कुमुदलता त्रिपाठी की अदालत में विश्व हिन्दू महासमिति की ओर से याचिका दायर की गई है। प्रतिवादी की ओर से किसी के उपस्थिति नहीं होने पर अदालत ने सुनवाई 30 जुलाई तक टाल दी है। साथ ही उपस्थित होने के लिए नोटिस जारी की गई है।
बता दें कि विश्व हिन्दू महासमिति व अभिषेक शर्मा ने 30 मई को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में प्रार्थना पत्र देकर अवगत कराया है कि आराजी संख्या 9130 पर आदिविशेश्वर, शृंगार गौरी सहित कई अन्य देवी-देवता विराजमान हैं।
वादी इनके पूजा-पाठ करने के अधिकार की मांग करता है। साथ ही आदिविशेश्वर के आठों मंडपों को सुरक्षित करने और हिंदू धर्म में आस्था नहीं रखने वालों को प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की है। सिर्फ प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया के तरफ से रईस अहमद उपस्थित रहे।
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वहीं, ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग पर हिंदुओं को धार्मिक अनुष्ठान करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। इसमें कहा गया है कि चूंकि श्रावण का महीना शुरू हो रहा है इसलिए हिंदुओं को शिवलिंग की पूजा और अनुष्ठान करने की अनुमति दी जाए। याचिका कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति दल के अध्यक्ष राजेश मणि त्रिपाठी ने याचिका दाखिल की है।
अयोध्या मंदिर मामले के फैसले में ये माना गया था कि देवता, हमेशा के लिए एक देवता होता है। मंदिर तोड़े जाने पर वो चरित्र, पवित्रता या गरिमा नहीं खोता। सर्वे के बाद शिवलिंग भी इसी परिसर में मिला है। इसलिए एक उपासक होने के नाते यदि वहां शिवलिंग है तो उनका पूजा का अधिकार भी जीवंत रहता है।